पाकिस्तान की पोल खोलने से पीछे हटे यूसुफ पठान, कहा ‘मैं उपलब्ध नहीं हूं’

भारत सरकार ने पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए सांसदों का डेलिगेशन विदेश भेजने का फैसला किया, लेकिन TMC सांसद यूसुफ पठान ने आखिरी वक्त पर मना कर दिया। क्या पार्टी के दबाव में हटे पठान? क्या विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है? जानिए इस फैसले के पीछे की पूरी अंदरूनी कहानी।

By GyanOK

पाकिस्तान के खिलाफ भारत सरकार द्वारा किए जा रहे डिप्लोमैटिक स्ट्राइक के तहत विभिन्न देशों में भेजे जा रहे संसदीय प्रतिनिधिमंडल से टीएमसी सांसद यूसुफ पठान ने खुद को अलग कर लिया है। पठान ने केंद्र सरकार को सूचित कर दिया है कि वह इस विदेशी दौरे के लिए “उपलब्ध नहीं” हैं।

पाकिस्तान की पोल खोलने से पीछे हटे यूसुफ पठान, कहा 'मैं उपलब्ध नहीं हूं'

सूत्रों के अनुसार, यूसुफ पठान का नाम बिना टीएमसी की सहमति के डेलिगेशन में शामिल किया गया था, जिससे पार्टी नाराज बताई जा रही है। माना जा रहा है कि इसी असहमति के कारण टीएमसी के निर्देश पर यूसुफ पठान ने विदेश जाने से इनकार किया है।

  • यूसुफ पठान ने विदेश जाने से किया इनकार, कहा – “मैं उपलब्ध नहीं हूं”
  • सरकार ने सीधे संपर्क किया, पार्टी को विश्वास में नहीं लिया गया
  • TMC ने कहा – “हम तय करेंगे हमारी पार्टी से कौन जाएगा”
  • पाकिस्तान के खिलाफ डिप्लोमैटिक स्ट्राइक का हिस्सा है यह मिशन
  • विपक्षी दलों ने डेलिगेशन चयन में पारदर्शिता की मांग की

टीएमसी की नाराजगी, केंद्र पर हमला

तृणमूल कांग्रेस ने इस घटनाक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा है कि विदेश नीति भारत सरकार का विषय जरूर है, लेकिन यह तय करना कि किस पार्टी से कौन सांसद जाएगा, यह अधिकार केवल संबंधित पार्टी को होना चाहिए।

“हम राष्ट्र हित में हर कदम पर केंद्र सरकार का साथ देंगे, लेकिन हमारी पार्टी से कौन जाएगा, यह फैसला टीएमसी ही करेगी,” — अभिषेक बनर्जी, सांसद

सरकार का मिशन: पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब करना

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को संरक्षण देने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने के लिए 7 संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजने का निर्णय लिया है। इन डेलिगेशन का उद्देश्य है कि वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष मज़बूती से रखा जाए और पाकिस्तान की सच्चाई को बेनकाब किया जाए।

यही वह डेलिगेशन था, जिसमें यूसुफ पठान को भी शामिल किया गया था। लेकिन अब उनके हटने से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या केंद्र ने राजनीतिक दलों को विश्वास में लिए बिना ही यह सूची तैयार की?

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी नाराज़

इससे पहले कांग्रेस पार्टी और आप, डीएमके, एसपी जैसी पार्टियों ने भी डेलिगेशन के चयन पर सवाल खड़े किए थे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर विषय पर भी राजनीति कर रही है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद डिप्लोमैटिक कार्रवाई

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पंजाब प्रांत में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया था। अब भारत सरकार इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन दिलाने के लिए डिप्लोमैटिक स्तर पर भी सक्रिय हो चुकी है

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