सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: बिटकॉइन को बताया हवाला जैसा व्यापार, केंद्र सरकार से मांगी क्रिप्टो पर स्पष्ट नीति

गुजरात के एक बड़े बिटकॉइन घोटाले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या बिटकॉइन और क्रिप्टो को रेगुलेट करने की कोई ठोस योजना है? अदालत ने इसे अर्थव्यवस्था के लिए संभावित खतरा बताया और जल्द स्पष्ट नीति लाने की सलाह दी।

By GyanOK

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार से सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट नीति की मांग की है। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने बिटकॉइन ट्रेडिंग की तुलना हवाला कारोबार से करते हुए कहा कि क्रिप्टो लेनदेन का अवैध इस्तेमाल देश की आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: बिटकॉइन को बताया हवाला जैसा व्यापार, केंद्र सरकार से मांगी क्रिप्टो पर स्पष्ट नीति

यह टिप्पणी गुजरात के शैलेश बाबूलाल भट्ट की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिस पर बिटकॉइन से जुड़ी बड़ी धोखाधड़ी और अपराधों में लिप्त होने का आरोप है।

क्रिप्टो को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

पीठ ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता और उसके जरिए हो रहे लेन-देन को देखते हुए सरकार के पास अब इसे विनियमित करने के लिए ठोस और पारदर्शी नीति होनी चाहिए। अदालत ने चिंता जताई कि क्रिप्टो का इस्तेमाल हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों में हो सकता है, और यह सब बिना सरकारी निगरानी के हो रहा है।

सरकार की तरफ से जवाब

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि सरकार नीति निर्माण की प्रक्रिया में है और विभिन्न मंत्रालयों व एजेंसियों से सलाह ली जा रही है। उन्होंने कुछ समय मांगा ताकि केंद्र उचित निर्देश के साथ अदालत के समक्ष पेश हो सके।

भट्ट पर गंभीर आरोप

आरोपी शैलेश भट्ट पर आरोप है कि वह बिटकॉइन लेनदेन में फर्जीवाड़ा करता था और ज्यादा रिटर्न के झांसे में लोगों को फंसाता था। यहां तक कि उसके खिलाफ अपहरण के भी आरोप दर्ज हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार वह गुजरात में क्रिप्टो घोटालों का बड़ा चेहरा है।

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

अदालत ने कहा कि वह यह तय नहीं कर सकती कि भट्ट आरोपी है या शिकार, लेकिन ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या केंद्र को चेतावनी देने के लिए काफी है। अदालत ने कहा कि ऐसी व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए, जिससे क्रिप्टो के माध्यम से हो रहे लेनदेन पर कड़ी निगरानी रखी जा सके।

क्या कहती है मौजूदा स्थिति?

भारत में फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई स्पष्ट कानून या रेगुलेशन नहीं है। हालांकि, सरकार ने क्रिप्टो आय पर 30% टैक्स और 1% टीडीएस की घोषणा की थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इसे एक डिजिटल असेट के रूप में देखती है, न कि मुद्रा के रूप में।

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