आधा भारत नहीं जानता ब्रह्मोस का दिमाग कहां बनता है – जानकर तान देगा सीना, कांपेगा पाकिस्तान!

ब्रह्मोस अब सिर्फ रूस की तकनीक नहीं, बल्कि भारत की ताकत बन चुकी है। हालिया ऑपरेशन में इसका इस्तेमाल चौंकाने वाला था—but क्या आप जानते हैं इसका ब्रेन, बॉडी और ब्लास्टिंग सिस्टम अब भारत में ही बन रहा है? जानिए किन भारतीय कंपनियों ने बनाया ब्रह्मोस को आत्मनिर्भर भारत का सबसे खतरनाक हथियार!

By GyanOK

हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल के सफल इस्तेमाल ने एक बार फिर भारत की सैन्य ताकत और तकनीकी आत्मनिर्भरता को दुनिया के सामने रखा है। लेकिन यह मिसाइल सिर्फ अपनी रफ्तार, सटीकता और घातकता के लिए ही नहीं, बल्कि इसके निर्माण में लगे पूरी तरह स्वदेशी योगदान के लिए भी चर्चा में है।

आधा भारत नहीं जानता ब्रह्मोस का दिमाग कहां बनता है – जानकर तान देगा सीना, कांपेगा पाकिस्तान!
आधा भारत नहीं जानता ब्रह्मोस का दिमाग कहां बनता है – जानकर तान देगा सीना, कांपेगा पाकिस्तान!

आज भारत के पास दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है और इसका ‘ब्रेन’ यानी एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम अब विदेश से नहीं, बल्कि भारतीय जमीन पर तैयार हो रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत की उड़ान का सबसे जीवंत उदाहरण है।

चेन्नई की कंपनी दे रही है मिसाइल को दिमाग

ब्रह्मोस का एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम बनाने वाली कंपनी का नाम है Data Patterns, जो चेन्नई से ऑपरेट करती है। इस कंपनी ने पहले जिन उपकरणों को रूस से तीन गुना कीमत पर मंगवाया जाता था, उन्हें अब देश में ही तैयार करना शुरू कर दिया है।

Data Patterns ने हाल ही में ब्रह्मोस के लिए एक नई ‘सीकर तकनीक’ का सफल परीक्षण किया है। यह तकनीक मिसाइल को टारगेट की पहचान करने और उसे ट्रैक करने में सक्षम बनाती है। कंपनी ने इसके लिए 1.5 अरब रुपये से अधिक का निवेश किया है और यह रक्षा तकनीक में भारत की तेजी से बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।

विस्फोटकों और ईंधन का निर्माण भी स्वदेशी

ब्रह्मोस की ताकत का एक बड़ा हिस्सा उसकी मारक क्षमता में छुपा है, जिसके लिए जरूरी है शक्तिशाली विस्फोटक और प्रोपेलेंट। यह जिम्मेदारी संभाली है Solar Industries की सब्सिडियरी Economic Explosives Limited ने। इसने HEMEX नामक एक ऐसा विस्फोटक विकसित किया है, जो पारंपरिक TNT से 50% ज्यादा ताकतवर है।

वहीं, Premier Explosives नाम की एक और भारतीय कंपनी ब्रह्मोस के लिए प्रोपेलेंट और बूस्टर असेंबली का निर्माण कर रही है। हाल ही में इस कंपनी को इस काम के लिए रक्षा मंत्रालय से एक बड़ा अनुबंध भी मिला है।

स्टील से लेकर लॉन्चर तक: हर हिस्सा अब भारत में तैयार

ब्रह्मोस के ढांचे में इस्तेमाल होने वाला स्टील भी अब भारत में ही तैयार हो रहा है। यह कार्य कर रही है Jindal Stainless, जो विशेष प्रकार की स्टील प्लेट्स और मटीरियल भारत में तैयार कर रही है। इससे रूस पर स्टील की निर्भरता खत्म हो गई है।

इसके अलावा, NIBE Limited ब्रह्मोस के लिए कैनिस्टर, मोबाइल लॉन्चर स्ट्रक्चर और डिफेंस स्ट्रक्चरल कंपोनेंट्स बना रही है। ये वे हिस्से हैं जो मिसाइल को लॉन्चिंग से पहले और बाद में सुरक्षित रखते हैं और उसके लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस को सुनिश्चित करते हैं।

सुपरएल्यॉय और भारी फोर्जिंग में भी देसी कंपनियों की चमक

लखनऊ स्थित PTC Industries ब्रह्मोस के लिए टाइटेनियम और सुपरएल्यॉय कास्टिंग्स बना रही है। इसके साथ ही Aerolloy Technologies के माध्यम से उन्नत धातु कंपोनेंट्स की आपूर्ति हो रही है।

Goodluck India जैसी कंपनी ब्रह्मोस के लिए शाफ्ट, गियर रिंग्स, फ्लैंजेस और अन्य भारी फोर्ज्ड पार्ट्स तैयार कर रही है। यही नहीं, यह कंपनी रॉकेट मोटर के महत्वपूर्ण हिस्से भी सप्लाई कर रही है।

आत्मनिर्भरता की उड़ान

ब्रह्मोस अब केवल एक मिसाइल नहीं, बल्कि यह भारत की तकनीकी क्रांति का प्रतीक बन चुकी है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का खरीदार नहीं, बल्कि दुनिया के सामने एक शक्तिशाली निर्माता के रूप में उभर रहा है।

‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नारों को साकार करते हुए इन स्वदेशी कंपनियों ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब अपने दम पर रक्षा तकनीक में अग्रणी बनने की क्षमता रखता है।

“हर बार जब ब्रह्मोस दुश्मन की सीमा में घुसता है, तो उसमें केवल बारूद नहीं होता – उसमें भारत की मेहनत, तकनीक और गर्व भरा होता है।”

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GyanOK

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