
कोविड-19 महामारी के बाद वैक्सीन और बूस्टर डोज़-Booster Dose को लेकर लगातार बहस होती रही है। लेकिन हाल ही में एक्सपर्ट्स ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है कि बूस्टर डोज़ लेने वाले व्यक्ति को कोरोना संक्रमण नहीं होगा, ऐसा मानना पूरी तरह सही नहीं है। हालांकि, यह डोज़ गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को जरूर कम करता है।
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कोविड के नए वैरिएंट और खतरे
भारत और दुनिया के कई हिस्सों में कोविड के नए वैरिएंट-Omircon Variant फिर से उभर रहे हैं। खासकर ओमिक्रॉन JN.1 उपप्रकार ने संक्रमण की दर को तेजी से बढ़ाया है। इसके चलते भारत में भी मामलों में हल्की वृद्धि देखी गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बूस्टर डोज़ लगवाने से व्यक्ति पूरी तरह सुरक्षित हो जाता है?
CDC की रिपोर्ट क्या कहती है?
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-2025 सीजन की कोविड वैक्सीन 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अस्पताल में भर्ती होने के खिलाफ लगभग 46% प्रभावी रही है। वहीं 18 से 64 वर्ष की आयु के लोगों में यह दर 48% तक रही। इसका मतलब साफ है कि बूस्टर डोज़ गंभीर परिणामों से बचाने में जरूर मददगार है, लेकिन संक्रमण को पूरी तरह रोकने का दावा नहीं किया जा सकता।
किन लोगों के लिए जरूरी है बूस्टर?
डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बूस्टर डोज़ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों, बुजुर्गों और पहले से बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए बेहद जरूरी है। इसका मुख्य उद्देश्य वायरस के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडीज को फिर से सक्रिय करना है, जिससे यदि कोई संक्रमित होता भी है, तो उसे गंभीर लक्षण न हों।
अन्य देशों में क्या स्थिति है?
यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी बूस्टर वैक्सीनेशन रेट गिरता दिख रहा है, जिससे सरकारें फिर से लोगों को टीका लगवाने के लिए जागरूक कर रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर समय पर बूस्टर डोज़ नहीं ली गई, तो यह वैरिएंट्स का संक्रमण तेजी से फैला सकता है। हालांकि अभी तक ऐसे कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं जो यह दर्शाएं कि बूस्टर लेने वाला व्यक्ति पूरी तरह कोविड से सुरक्षित है।
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भारत में क्या कहता है डेटा?
भारत में भी स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है। जनवरी 2025 के आंकड़ों के अनुसार, ज्यादातर मामलों में मरीजों को हल्के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इसके पीछे पूर्व संक्रमण और वैक्सीन द्वारा विकसित की गई इम्यूनिटी जिम्मेदार मानी जा रही है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह है कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग, भीड़ से बचाव और बूस्टर डोज़ लेना आज भी उतना ही जरूरी है।
बूस्टर को सुरक्षा कवच के रूप में समझें
कोविड-19 जैसे वायरस के लगातार म्यूटेट होते रहने से संक्रमण का जोखिम बना रहता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि टीका और बूस्टर को संक्रमण रोकने के लिए नहीं, बल्कि गंभीर स्थिति से बचाव के एक प्रभावशाली हथियार के रूप में देखा जाए।
विशेषज्ञों की अंतिम सलाह
विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि भारत जैसे देश में जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सभी तक समान नहीं है, वहां बूस्टर डोज़ जैसे उपायों को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है। खासतौर पर वृद्धावस्था, अस्थमा, हृदय रोग या अन्य पुरानी बीमारियों से ग्रसित लोगों को बूस्टर जरूर लगवाना चाहिए।
WHO की चेतावनी क्या कहती है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कई बार स्पष्ट किया है कि वैक्सीन और बूस्टर संक्रमण को फैलने से पूरी तरह नहीं रोक सकते, लेकिन ये गंभीर जटिलताओं और मृत्यु दर को घटाने में प्रभावी हैं। इसीलिए यह दावा करना कि बूस्टर डोज़ लेने वालों को कोविड नहीं होगा, गलत है और इससे गलतफहमी पैदा हो सकती है।
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