
जीभ (Tongue) शरीर का ऐसा अंग है जो न केवल स्वाद का अहसास कराता है, बल्कि हमारी सेहत के बारे में भी कई अहम संकेत देता है। मेडिकल टेस्ट करवाए बिना ही आप जीभ की बनावट, रंग और सतह को देखकर अपनी सेहत का हाल समझ सकते हैं। आयुर्वेद में जीभ को ‘मुँह का दर्पण’ कहा गया है क्योंकि यह शरीर के अंदर चल रहे असंतुलन को बयां करती है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि जीभ के विभिन्न रंग और लक्षण क्या बताते हैं और किस तरह से आप घर बैठे अपनी सेहत का अंदाजा लगा सकते हैं।
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स्वस्थ जीभ का स्वरूप
स्वस्थ जीभ का रंग हल्का गुलाबी होता है जिसमें सफेद या हल्की परत हो सकती है। यह नर्म और साफ-सुथरी होती है। अगर जीभ का रंग बदल जाए, सतह पर धब्बे, फटकार या परतें बनने लगें तो यह शरीर में किसी प्रकार की समस्या या बीमारी का संकेत हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी जीभ पर सफेद परत दिखाई दे रही है तो यह पेट के खराब पाचन या फंगल संक्रमण का संकेत हो सकता है। वहीं, पीली जीभ लिवर की समस्या या पाचन तंत्र की कमजोरी को दर्शा सकती है।
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जीभ के रंग और स्वास्थ्य समस्याएं
अगर जीभ लाल हो जाए तो यह विटामिन बी12 या आयरन की कमी का संकेत हो सकता है, साथ ही शरीर में किसी प्रकार की सूजन या संक्रमण भी इसका कारण हो सकता है। काली या भूरी जीभ ‘ब्लैक हैरी टंग’ जैसी समस्या का परिचायक होती है, जो गलत मौखिक स्वच्छता, धूम्रपान या दवाइयों के कारण होती है। नीली या बैंगनी रंग की जीभ रक्त संचार की कमी या हृदय संबंधी समस्याओं की ओर इशारा कर सकती है। इसके अलावा, फटी हुई या दरारदार जीभ उम्र बढ़ने के साथ सामान्य होती है लेकिन कभी-कभी यह पोषण की कमी का भी सूचक हो सकती है। चिकनी या स्मूद जीभ भी विटामिन की कमी को दर्शाती है।
जीभ की सही देखभाल कैसे करें?
जीभ की देखभाल के लिए रोजाना ब्रश करना और जीभ की सफाई जरूरी है ताकि बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण से बचा जा सके। पर्याप्त पानी पीना, संतुलित आहार लेना और पोषण की कमी को पूरा करना भी आवश्यक है। यदि जीभ के रंग में अचानक बदलाव आये या किसी तरह की तकलीफ हो, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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