
भारत में कोविड-19 संक्रमण एक बार फिर से धीरे-धीरे उभरता नजर आ रहा है। वर्तमान में एक्टिव केस की संख्या 275 है, लेकिन बदलते मौसम के बीच कोरोना वायरस के नए वैरिएंट NB.1.8.1, NB.7 और JN.1 को लेकर सतर्कता जरूरी हो गई है। Covid-19 Test Health Advisory के तहत ये जानना बेहद अहम हो गया है कि किन लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और किस स्थिति में कोविड टेस्ट कराना आवश्यक है।
कोविड-19 वैरिएंट NB.1.8.1, NB.7 और JN.1
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि देश में फिलहाल कोविड-19 के मामले बेहद सीमित हैं और इनका असर गंभीर नहीं देखा जा रहा। फिर भी नए वैरिएंट्स – खासकर NB.1.8.1 और NB.7 – ने केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। विदेशी यात्रियों में JN.1 और NB.1.8.1 के मामले देखे गए हैं। हालाँकि इनसे संक्रमित मरीजों को आमतौर पर अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं पड़ी है।
किस स्थिति में कराएं कोविड टेस्ट?
मौसम में बदलाव के कारण वायरल फीवर, खांसी, जुकाम और गले की खराश आम हो गई है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि किन लक्षणों के सामने आने पर कोविड टेस्ट करवाना चाहिए। WHO की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, नए वैरिएंट NB.1.8.1 और NB.7 के लक्षण पहले के मुकाबले कुछ अलग हैं। इनमें शामिल हैं:
- हल्का बुखार
- गले में जकड़न या गला चोक होना
- लगातार थकावट
- मांसपेशियों में दर्द
- नाक बंद होना
- सिरदर्द
- गैस व अपच की शिकायत
इन लक्षणों के दिखाई देने पर एंटीजन टेस्ट या RT-PCR जांच कराना उपयुक्त रहता है।
स्वाद और गंध का न आना अब प्रमुख लक्षण नहीं
शुरुआती कोविड दौर में स्वाद और गंध का न आना सबसे प्रमुख संकेत माना जाता था। लेकिन अब NB.1.8.1 और NB.7 जैसे वैरिएंट्स के मामले में यह लक्षण देखने को नहीं मिल रहा। इसके बजाय थकान, सिरदर्द और हल्का बुखार ज्यादा सामान्य हो गए हैं। इसका मतलब यह नहीं कि लक्षण मामूली हैं – सही समय पर पहचान और परीक्षण ही संक्रमण को फैलने से रोक सकता है।
घरेलू देखभाल और टेस्टिंग: क्या करें, क्या न करें
कोविड-19 के हल्के लक्षणों पर भी सतर्क रहना जरूरी है। घर पर एंटीजन टेस्ट से शुरुआती पहचान संभव है, लेकिन सटीक परिणाम के लिए RT-PCR टेस्ट कराना बेहतर विकल्प है। साथ ही:
- ऑक्सीजन लेवल की निगरानी करें
- अधिक पानी पिएं
- भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहें
- बुखार या सिरदर्द बढ़ने पर डॉक्टर से संपर्क करें
वैक्सीनेशन का प्रभाव और सुरक्षा कवच
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत की 95% वयस्क आबादी का टीकाकरण हो चुका है और 75% को बूस्टर डोज भी दी जा चुकी है। हालांकि, सिर्फ 18% आबादी को ही ओमिक्रॉन से लड़ने वाली वैक्सीन दी गई है। इस स्थिति में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बने रहना अत्यंत आवश्यक है। दक्षिण भारत के राज्यों में वैरिएंट NB.7 और विदेशी यात्रियों में NB.1.8.1 की पुष्टि, यह संकेत देती है कि सतर्कता अब भी जरूरी है।