
महाराष्ट्र सरकार ने Class 11 Admission के लिए एक अहम बदलाव किया है। अब कोई भी जूनियर कॉलेज तभी अपने स्कूल के छात्रों को In-house Quota में एडमिशन दे सकेगा, जब वह स्कूल और कॉलेज एक ही परिसर (Campus) में हों। अगर दोनों अलग-अलग जगहों पर हैं—even अगर वे कुछ किलोमीटर दूर ही क्यों न हों—तो इन-हाउस कोटा लागू नहीं होगा।
पहले की व्यवस्था में, एक ही ट्रस्ट या संस्था द्वारा संचालित स्कूल और कॉलेज, भले ही भिन्न स्थानों पर हों, फिर भी अपने छात्रों को प्राथमिकता से एडमिशन दे सकते थे। अब यह सुविधा केवल एक ही कैंपस में स्थित संस्थानों को ही मिलेगी।
पुणे के कॉलेजों पर असर कैसे पड़ेगा?
पुणे शहर में कई प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान हैं, जो वर्षों से अलग-अलग परिसरों में स्कूल और जूनियर कॉलेज चला रहे हैं। इन संस्थानों में अब इन-हाउस कोटे के तहत अपने ही स्कूल के छात्रों को सीधे एडमिशन देना संभव नहीं रहेगा।
इसका मतलब है कि अब उन छात्रों को भी कॉम्पिटिशन फेस करना होगा जो बाहरी स्कूलों से हैं। इससे पहले उन्हें बिना खास प्रतिस्पर्धा के सीधे अपने कॉलेज में प्रवेश मिल जाता था।
राज्य सरकार का मकसद क्या है?
राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने इस बदलाव के पीछे की मंशा स्पष्ट की है। उनका कहना है कि अब पूरी एडमिशन प्रक्रिया Merit-Based यानी अंकों के आधार पर होगी।
भुसे ने कहा, “हम चाहते हैं कि जो छात्र मेहनत से अच्छे अंक लाते हैं, उन्हें ही नामी कॉलेजों में प्रवेश मिले। पहले कई बार ऐसा होता था कि अच्छे अंक लाने के बावजूद छात्रों को जगह नहीं मिलती थी, क्योंकि इन-हाउस कोटा से पहले से सीट भर जाती थी।”
ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया में क्या नया है?
Class 11 Admission के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया 26 मई से शुरू हो रही है। पहले यह व्यवस्था केवल मुंबई, पुणे, नागपुर और अमरावती में लागू थी। लेकिन अब इसे पूरे महाराष्ट्र में लागू किया जा रहा है।
कुछ तकनीकी खामियों को लेकर छात्र और अभिभावक परेशान थे, खासतौर पर ₹100 फीस भरने को लेकर। इस पर शिक्षा मंत्री ने बताया कि सभी गड़बड़ियों को सुलझा लिया गया है और अब पोर्टल बिना किसी दिक्कत के चलेगा।
ग्रामीण छात्रों के लिए चुनौतियां और सरकार की पहल
भुसे ने माना कि ग्रामीण छात्रों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे—इंटरनेट की कमी, स्मार्टफोन की अनुपलब्धता और टेक्निकल जानकारी की कमी। लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार लंबे समय तक काम करके इस व्यवस्था को सभी के लिए सुलभ बनाएगी।
उन्होंने कहा, “हम जो भी पॉजिटिव बदलाव देखेंगे, उन्हें साझा करेंगे और जहां जरूरी होगा, वहां सुधार भी करेंगे। हमारा लक्ष्य सभी छात्रों को बराबरी का मौका देना है।”
मराठी भाषा और इतिहास को लेकर सरकार की नई मांग
दादा भुसे ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र को तीन अहम प्रस्ताव भेजे हैं:
- Chhatrapati Shivaji Maharaj के इतिहास को राष्ट्रीय स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करना।
- Marathi Language को क्लासिकल भाषा का दर्जा दिलाना।
- गैर-मराठी स्कूलों में मराठी पढ़ाई अनिवार्य करना।
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार की ओर से सीबीएसई द्वारा मराठी को अनिवार्य बनाने का निर्णय, इन्हीं मांगों की वजह से लिया गया है।