
Vat Savitri Vrat 2025 आज, 26 मई को श्रद्धा और विश्वास के साथ देशभर में मनाया जा रहा है। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। हिंदू संस्कृति में इस व्रत का विशेष स्थान है, क्योंकि यह नारी शक्ति, संकल्प और प्रेम की प्रतीक सावित्री की अमर कथा से जुड़ा है। इस पावन अवसर पर महिलाएं उपवास रखती हैं, वट वृक्ष की पूजा करती हैं और सावित्री की भांति अपने सुहाग की रक्षा के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।
सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा का महत्व
वट सावित्री व्रत का आधार वह पुराणिक कथा है जिसमें राजकुमारी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से अपने संकल्प, तप और भक्ति के बल पर पुनः प्राप्त किए थे। यह कथा न केवल स्त्री की आस्था और प्रेम को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सच्चे प्रेम के आगे मृत्यु भी हार मान जाती है। इसी कारण वट सावित्री व्रत को सौभाग्य, समर्पण और पति-पत्नी के अटूट संबंध का प्रतीक माना जाता है।
वट सावित्री व्रत की परंपराएं और पूजा विधि
Vat Savitri Vrat के दिन महिलाएं प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और पारंपरिक वस्त्र धारण कर वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस अवसर पर बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित किया जाता है, फिर पेड़ की परिक्रमा कर सुहाग की वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। महिलाओं द्वारा विशेष पूजा मंत्रों का जाप किया जाता है, जैसे:
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रं पौत्रंश्च सौख्यं च गृहणाय नमोस्तुते।।
यथा शाखप्रशाखाभिर्वृद्धोसि त्वं महितले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पूर्णं कुरु मा सदा।।
इन मंत्रों के उच्चारण से व्रत की पूर्णता मानी जाती है और देवी सावित्री से आशीर्वाद प्राप्त होता है।
व्रत के विशेष उपाय और उनका आध्यात्मिक महत्व
ज्योतिषियों के अनुसार, वट सावित्री व्रत के दिन किए गए कुछ विशेष उपाय अत्यधिक फलदायी होते हैं। पूजा में भिगोया हुआ काला चना, गेहूं, मौसमी फल, केले और लाल कपड़ा चढ़ाना शुभ माना जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। व्रत की पूर्णता के बाद बरगद के नीचे दीपक जलाने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
साथ ही विवाहित स्त्रियों को मेहंदी, लाल चूड़ियां, कुमकुम और सिंदूर देना शुक्र ग्रह को बल देता है, जिससे वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और प्रेम बना रहता है। वट वृक्ष को लाल गुड़हल या गुलाब के फूल अर्पित करने से जीवन में शांति और सुख आता है। ये उपाय ना केवल धार्मिक हैं, बल्कि मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी जीवन को सकारात्मक दिशा में प्रभावित करते हैं।