
भारत सरकार ने नागरिकता साबित करने के नियमों में बदलाव किया है। अब सिर्फ वोटर आईडी और पासपोर्ट ही यह दिखाएंगे कि आप भारतीय नागरिक हैं। सरकार ऐसा इसलिए कर रही है ताकि अवैध रूप से रहने वाले लोगों की पहचान हो सके। आधार कार्ड, पैन कार्ड और राशन कार्ड अब सिर्फ पहचान के लिए इस्तेमाल होंगे, नागरिकता के प्रमाण के तौर पर नहीं।
मामले की पृष्ठभूमि और सरकार की चिंता
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल ही में हुए वेरिफिकेशन ड्राइव में यह सामने आया कि कई अवैध प्रवासी – विशेषकर बांग्लादेशी और रोहिंग्या – ने फर्जी दस्तावेज जैसे आधार, पैन और राशन कार्ड प्राप्त कर लिए थे। इन दस्तावेजों के आधार पर वे भारतीय नागरिकता का दावा कर रहे थे। इससे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न हो गया था। यही कारण है कि सरकार ने वोटर आईडी और पासपोर्ट को ही नागरिकता का प्रमाण मानने का निर्णय लिया है।
इस निर्णय के पीछे का मकसद
इस नई नीति के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य है – देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना और नागरिकता प्रणाली में पारदर्शिता लाना। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “अभी तक कई विदेशी नागरिक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय नागरिकों की तरह सुविधाएं उठा रहे थे। यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा भी है। अब इस पर सख्त नियंत्रण होगा।”
आम जनता पर प्रभाव और आवश्यक सावधानियां
इस नीति से उन लाखों लोगों को प्रभावित होना तय है जो आधार या पैन कार्ड को नागरिकता का प्रमाण मानते थे। अब सभी नागरिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास वोटर आईडी कार्ड या पासपोर्ट हो, और वह अद्यतित व सुरक्षित हो। भविष्य में विभिन्न सरकारी योजनाओं, लाभ और दस्तावेज सत्यापन में इन्हीं दस्तावेजों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसलिए यह समय है सजग रहने का। यदि आपके पास अभी तक वोटर आईडी नहीं है या उसमें कोई त्रुटि है, तो इसे तुरंत दुरुस्त करवा लेना आवश्यक होगा। पासपोर्ट के लिए भी जल्द आवेदन कर लेना समझदारी होगी।