देशभर में बढ़ते बिजली बिलों और ऊर्जा संकट के बीच दिल्लीवासियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया कि राजधानी के नागरिकों को सोलर पैनल लगवाने पर ₹30,000 तक की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। यह सहायता केंद्र सरकार द्वारा पहले से चलाई जा रही “प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना” के तहत दी जाने वाली सब्सिडी के अतिरिक्त होगी।

केंद्र और राज्य सरकार मिलकर देंगे ₹1.08 लाख की सब्सिडी
इस योजना के तहत केंद्र सरकार पहले ही लोगों को ₹78,000 तक की सब्सिडी दे रही है। अब दिल्ली सरकार के सहयोग से यह कुल सब्सिडी राशि बढ़कर ₹1.08 लाख हो जाएगी। इस निर्णय का उद्देश्य राजधानी में स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना है, साथ ही आम जनता को बिजली के बढ़ते खर्च से राहत प्रदान करना भी है।
बिजली बिल से मिलेगी राहत, बढ़ेगा सोलर एनर्जी का इस्तेमाल
दिल्ली सरकार का कहना है कि यह योजना खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी, जो बिजली की खपत ज्यादा करते हैं और अपने मासिक बिलों से परेशान हैं। गर्मी के मौसम में एसी और कूलर की खपत बढ़ जाती है, जिससे बिजली बिल भी आसमान छूने लगते हैं। ऐसे में सोलर पैनल लगवाकर लोग अपनी बिजली जरूरतों को खुद पूरा कर सकेंगे, और लंबी अवधि में बड़ी बचत कर पाएंगे।
किन लोगों को मिलेगा योजना का लाभ?
हालांकि, यह अतिरिक्त सब्सिडी हर किसी को नहीं मिलेगी। इसके लिए कुछ आवश्यक शर्तें तय की गई हैं:
- लाभार्थी को दिल्ली का निवासी होना जरूरी है।
- उस व्यक्ति के नाम पर स्वयं का मकान होना चाहिए।
- घर में खुली छत (रूफटॉप) होनी चाहिए जहां पैनल लगाया जा सके।
- फ्लैट या अपार्टमेंट में रहने वाले लोग इस योजना के पात्र नहीं होंगे।
सोलर पैनल सब्सिडी आवेदन कैसे करें?
सोलर पैनल योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। इच्छुक नागरिकों को केंद्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://pmsuryaghar.gov.in/ पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा। यहां पर व्यक्तिगत जानकारी, मकान के दस्तावेज़ और छत से संबंधित विवरण दर्ज करना होगा। सत्यापन के बाद सब्सिडी या तो इंस्टॉलेशन की लागत से घटाई जाएगी या सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
पर्यावरण और ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम
इस योजना से सरकार को दोहरे लाभ की उम्मीद है—एक तरफ यह दिल्ली के लोगों के बिजली खर्च में बड़ी राहत देगा, वहीं दूसरी ओर यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी मददगार साबित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाएं, तो देश में हरित ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन संभव है।