भारतीय सेना के पूर्व थल सेनाध्यक्ष और ‘The Containment Conspiracy’ के लेखक जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने पाकिस्तान की सेना को लेकर एक बड़ा और दिलचस्प खुलासा किया है। आजतक रेडियो से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि विदेशों में जब भारत और पाकिस्तान की सेना संयुक्त राष्ट्र (UN) की शांति सेना (Peacekeeping Force) के तहत साथ तैनात होती थी, तब पाकिस्तानी अफसर चोरी-छिपे भारतीय कैंप में आकर शराब पीते थे।

जनरल नरवणे ने कहा कि पाकिस्तान की सेना में भले ही धार्मिक नियमों के नाम पर शराब पीना प्रतिबंधित है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। उन्होंने बताया, “पाकिस्तानी सेना के जवान और अफसर अक्सर हमारे पास आते थे और कहते थे कि थोड़ा ड्रिंक मिल जाएगा क्या? क्योंकि अपने कैंप में अगर पीते हुए पकड़े जाते तो सस्पेंड हो सकते थे।”
जियाउल हक के समय आया था इस्लामीकरण (Islamization of Pakistan Army)
पूर्व सेनाध्यक्ष ने बताया कि पाकिस्तान की सेना में ये बदलाव जनरल जियाउल हक के राष्ट्रपति बनने के बाद शुरू हुए थे। उसी समय से पाकिस्तानी सेना में इस्लामिक नियम-कानून लागू किए गए, जिनमें शराब पीने पर सार्वजनिक तौर पर रोक सबसे अहम रही। लेकिन उन्होंने साफ किया कि ये नियम सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं, और निजी तौर पर पाकिस्तानी अफसर इनका पालन नहीं करते।
‘पीस कीपिंग’ के दौरान होती है असलियत की पोल खुल
जनरल नरवणे ने यह भी बताया कि जब भारत और पाकिस्तान की सेनाएं किसी तीसरे देश में संयुक्त राष्ट्र मिशन में तैनात होती हैं, तब पाकिस्तानी अफसर अपने कैंप में शराब पीने से बचते हैं ताकि उनके खिलाफ रिपोर्ट न जाए। ऐसे में वे भारतीय सेना के कैंप में आकर शराब मांगते हैं और पीकर वापस लौट जाते हैं।
पाक सेना के दोहरे चेहरे
इस किस्से के जरिए जनरल नरवणे ने यह उजागर किया कि पाकिस्तानी सेना सार्वजनिक रूप से धार्मिक कट्टरता का दिखावा करती है, लेकिन निजी जीवन में उसका पालन नहीं करती। इस रवैये को उन्होंने पाक सेना की “दोहरे चरित्र वाली नीति” बताया।
जनरल नरवणे के इस बयान से साफ है कि पाकिस्तानी सेना अपने ही बनाए कायदों को विदेशों में तोड़ती है और दिखावे की धार्मिकता का मुखौटा पहने रखती है। यह किस्सा बताता है कि कठोर नियमों के पीछे किस तरह की असलियत छिपी होती है, और किस तरह भारतीय सेना का अनुशासन हर परिस्थिति में कायम रहता है।