पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर की वैश्विक पैरवी के लिए भारत सरकार ने कमर कस ली है। सरकार ने सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया है जो 33 देशों का दौरा करेंगे। इन डेलिगेशन का उद्देश्य है भारत का पक्ष दुनिया के सामने मजबूती से रखना और पाकिस्तान के झूठ को उजागर करना।

इन डेलिगेशन में कुल 51 सांसद और पूर्व मंत्री शामिल हैं। इसके अलावा विदेश मंत्रालय के 8 वरिष्ठ अधिकारी भी इन प्रतिनिधिमंडलों के साथ अटैच किए गए हैं। खास बात यह है कि हर डेलिगेशन में कम से कम एक मुस्लिम चेहरा शामिल किया गया है, जिससे भारत की विविधता और समावेशिता को भी प्रदर्शित किया जा सके।
7 डेलिगेशन, 33 देश, एक भारत
इन डेलिगेशन का नेतृत्व बैजयंत पांडा, रविशंकर प्रसाद, संजय झा, श्रीकांत शिंदे, शशि थरूर, कनिमोझी करुणानिधि और सुप्रिया सुले जैसे वरिष्ठ सांसद करेंगे। ये प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, फ्रांस, यूके, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, जापान, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जैसे प्रमुख देशों का दौरा करेंगे।
इनका अंतिम पड़ाव ब्रुसेल्स होगा, जहां सभी 59 सदस्य यूरोपीय संघ मुख्यालय में भारत का पक्ष रखेंगे।
कांग्रेस की नाराजगी, फिर भी नेताओं की भागीदारी
कांग्रेस ने चार नाम भेजे थे, लेकिन सिर्फ आनंद शर्मा को चुना गया। इस पर पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर भी मोदी सरकार राजनीति कर रही है। हालांकि, कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता—शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और अमर सिंह—प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहेंगे।
अभूतपूर्व समावेशिता और विपक्ष का सहयोग
इस पहल में एनडीए के 31 और विपक्षी दलों के 20 नेता शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडलों में AIMIM से असदुद्दीन ओवैसी, राकांपा से सुप्रिया सुले, सपा से राजीव राय, टीएमसी से यूसुफ पठान, आप से विक्रमजीत साहनी और कांग्रेस से सलमान खुर्शीद तक को शामिल किया गया है।
हर डेलिगेशन के साथ एक वरिष्ठ राजनयिक या पूर्व विदेश सचिव भी होंगे, जो मिशन की गंभीरता को दर्शाते हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इन टीमों की गहन ब्रीफिंग भी की है।
राजनीति के बावजूद एकजुट भारत का संदेश
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मिशन को “One Mission, One Message, One India” करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की एकजुटता का प्रतीक है।
भारत सरकार के इस अभूतपूर्व कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत की स्थिति और मजबूत होगी। हालांकि विपक्ष ने इसे लेकर कुछ सवाल जरूर उठाए हैं, लेकिन सभी दलों के नेताओं की भागीदारी यह दर्शाती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत एकजुट है।