दुनिया में कई अनोखे और चौंकाने वाले कानून मौजूद हैं, लेकिन वेटिकन सिटी का एक नियम हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देता है। दुनिया के सबसे छोटे और कम आबादी वाले देश वेटिकन सिटी में बीते 95 सालों से एक भी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है। इसका कारण है यहां का सख्त कानून, जिसके अनुसार किसी भी प्रेग्नेंट महिला को देश के भीतर बच्चे को जन्म देने की अनुमति नहीं है।

वेटिकन सिटी के नियम के मुताबिक, जैसे ही कोई महिला गर्भवती होती है और उसकी डिलीवरी का समय नजदीक आता है, उसे वेटिकन छोड़कर बाहर जाना पड़ता है। डिलीवरी के बाद वह फिर से देश में लौट सकती है, लेकिन बच्चे का जन्म किसी भी सूरत में वेटिकन में नहीं हो सकता।
अस्पताल नहीं, इसलिए है प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सख्त कानून
वेटिकन सिटी में यह नियम इसलिए लागू किया गया है क्योंकि देश में एक भी अस्पताल या डिलीवरी सेंटर नहीं है। इस धार्मिक देश की पूरी संरचना कैथोलिक चर्च और धार्मिक गतिविधियों के इर्द-गिर्द घूमती है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यहां स्थान और व्यवस्था नहीं है।
यही कारण है कि गर्भवती महिलाओं या बीमार नागरिकों को इटली की राजधानी रोम के अस्पतालों में भेजा जाता है, जहां उनका इलाज या प्रसव होता है। रोम से सटे इस देश की सीमाएं भी बेहद सीमित हैं। सिर्फ 118 एकड़ में फैले वेटिकन में अस्पताल खोलने के प्रस्ताव पर कई बार विचार किया गया, लेकिन हर बार उसे जगह की कमी और देश की प्रकृति को देखते हुए खारिज कर दिया गया।
प्राकृतिक प्रसव पर भी मनाही
यहां तक कि अगर किसी महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो जाए, तो भी यहां किसी प्रकार की मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं है। प्राकृतिक प्रसव की अनुमति भी वेटिकन में नहीं दी जाती, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि देश के भीतर बच्चे का जन्म न हो।
एक धार्मिक राष्ट्र की अनोखी व्यवस्था
वेटिकन सिटी कैथोलिक चर्च का केंद्र है और पोप का आधिकारिक निवास भी। यहां रहने वाले अधिकांश लोग चर्च के उच्चाधिकारी या उनकी सेवा में लगे कर्मचारी होते हैं। देश की कुल जनसंख्या भी कुछ सौ लोगों के आसपास है। ऐसे में यह कानून देश की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का हिस्सा माना जाता है।
दुनिया की प्रगति और बदलती सामाजिक व्यवस्थाओं के बावजूद वेटिकन सिटी का यह कानून आज भी लागू है और 95 सालों से इस नियम ने देश को बच्चों के जन्म से अछूता रखा है। यह उदाहरण दुनिया को यह दिखाता है कि कैसे कुछ राष्ट्र अपनी धार्मिक और सामाजिक परंपराओं को आज भी पूरी सख्ती से निभा रहे हैं।