
सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन (Enrollment) में भारी गिरावट ने शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education – MoE) को गहरी चिंता में डाल दिया है। वर्ष 2024-25 में कुल 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्तर पर सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की है। इस गिरते ट्रेंड को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने संबंधित राज्यों से इसका कारण जानने और सुधार के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है।
नामांकन में गिरावट की गंभीर स्थिति
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (PM-POSHAN), जिसे पहले मिड डे मील योजना (Mid-Day Meal Scheme) के नाम से जाना जाता था, के तहत प्रदर्शन की समीक्षा हेतु अप्रैल 2025 में केंद्र ने 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस समीक्षा से खुलासा हुआ कि 23 राज्यों में छात्र नामांकन घटा है, जिनमें से 8 राज्यों में यह गिरावट 1 लाख से अधिक रही। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 21.83 लाख छात्रों की कमी देखी गई, उसके बाद बिहार में 6.14 लाख, राजस्थान में 5.63 लाख और पश्चिम बंगाल में 4.01 लाख नामांकन कम हुए हैं।
PM-POSHAN योजना और पोषण के लक्ष्य
PM-POSHAN योजना सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को गर्म भोजन उपलब्ध कराती है। यह योजना पिछले तीन दशकों से देश के सबसे बड़े सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में एक रही है। इसकी लागत केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में साझा की जाती है, जहां केंद्र सरकार खाद्यान्न की आपूर्ति करती है। हालांकि, 2024-25 में कर्नाटक, असम, तमिलनाडु और दिल्ली जैसे राज्यों में भी नामांकन में भारी गिरावट देखने को मिली है।
मंत्रालय की चिंता और संभावित कारण
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस ट्रेंड पर गंभीर चिंता जताई है और राज्यों को इसके पीछे के कारणों की गहन जांच करने को कहा है। यह गिरावट पहली बार वर्ष 2023-24 की UDISE+ रिपोर्ट में सामने आई थी, जिसमें बताया गया था कि 2018-19 से 2021-22 के औसत की तुलना में कुल नामांकन में लगभग 1.5 करोड़ की कमी आई है।
अधिकारियों ने दो संभावित कारणों की ओर इशारा किया है: पहला, डेटा संग्रहण की पद्धति में बदलाव – अब स्कूल वाइस डेटा के बजाय छात्र वाइस विवरण जैसे नाम, पता और आधार नंबर दर्ज किए जा रहे हैं। दूसरा, कोविड-19 महामारी के बाद कई माता-पिता ने अपने बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों की जगह निजी स्कूलों में करा दिया है।
पोषण योजना के लाभार्थियों में भी कमी
नामांकन में गिरावट के साथ-साथ मिड डे मील योजना के लाभार्थियों की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी आई है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में इस योजना का लाभ उठाने वाले छात्रों की संख्या में 97,000 की कमी आई है। दिल्ली में केवल 60 प्रतिशत प्री-प्राइमरी, 69 प्रतिशत प्राथमिक और 62 प्रतिशत अपर प्राइमरी छात्र ही योजना से लाभान्वित हो रहे हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत से नीचे है।
उत्तर प्रदेश में भी मील कवरेज में 5.41 लाख छात्रों की गिरावट आई है, जबकि राजस्थान में 3.27 लाख और पश्चिम बंगाल में 8.04 लाख की कमी देखी गई है। कुछ राज्यों में छात्रों द्वारा टिफिन लाने की प्रवृत्ति भी सामने आई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि योजना का क्रियान्वयन या तो प्रभावी नहीं रहा है या छात्रों व अभिभावकों का विश्वास कम हुआ है। इस कारण, मंत्रालय ने राज्यों को भोजन की गुणवत्ता और योजना की पहुंच बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।