
प्याज (Onion) की कीमतों में भारी गिरावट ने देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र (Maharashtra) के किसानों को गंभीर आर्थिक संकट में डाल दिया है। जहां एक ओर रिटेल बाजार में उपभोक्ता 25-30 रुपये प्रति किलो प्याज खरीद रहे हैं, वहीं दूसरी ओर थोक मंडियों में किसानों को सिर्फ 1 से 11 रुपये प्रति किलो तक ही दाम मिल रहे हैं। यह स्थिति किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल बना रही है।
मंडियों में बर्बादी के भाव
लासलगांव मंडी, जो एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी मानी जाती है, वहां प्याज का न्यूनतम भाव 500 रुपये, अधिकतम 1400 रुपये और औसत 1100 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया। वहीं, सोलापुर (Solapur Mandi) में हालात बदतर हैं, जहां प्याज एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र में इस महीने प्याज का औसत दाम 733 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले महीने के मुकाबले 16 फीसदी और पिछले साल के मुकाबले 29 फीसदी कम है।
दिल्ली NCR क्षेत्र की बात करें तो यहां भी प्याज की कीमतों में पिछले एक महीने में 20 फीसदी और एक साल में 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश में भी स्थिति कुछ अलग नहीं, जहां प्याज के दाम एक महीने में 20 और साल भर में 22 फीसदी तक टूटे हैं।
महंगाई दर से भी जाहिर हुई बदहाली
सरकार द्वारा जारी हालिया महंगाई आंकड़ों में भी प्याज की कीमतों में भारी गिरावट साफ नजर आई है। अप्रैल महीने में थोक महंगाई दर घटकर 0.85 फीसदी पर पहुंच गई। मार्च में प्याज की महंगाई दर 26.65 फीसदी थी, जो अप्रैल में घटकर सिर्फ 0.20 फीसदी रह गई। यह स्पष्ट संकेत है कि प्याज (Onion) की कीमतों में भारी गिरावट हुई है, जिससे किसानों को गहरा झटका लगा है।
प्याज व्यापारियों की राय और संभावनाएं
प्याज कारोबारियों के अनुसार, पिछले कुछ सप्ताह से लगातार हो रही बारिश ने प्याज को नुकसान पहुंचाया है। अधिकतर फसल में पानी लगने के कारण उसकी गुणवत्ता खराब हो गई है। बाजार में खराब प्याज की आवक बढ़ने से दामों में तेज गिरावट आई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ महीनों में प्याज की कीमतें फिर चढ़ सकती हैं क्योंकि बारिश से खेतों में खड़ी फसल को भी नुकसान पहुंचा है।
किसानों की आर्थिक हालत गंभीर
महाराष्ट्र के किसान, खासकर सोलापुर और धुले जिलों में, इस समय गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। प्याज के थोक दाम लागत मूल्य से भी नीचे जाने के कारण किसान अपनी उपज को खेतों में ही छोड़ देने को मजबूर हो गए हैं। दूसरी ओर उपभोक्ताओं को प्याज अब भी 25 से 30 रुपये किलो की दर से मिल रहा है, जिससे साफ होता है कि लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा।
रेडिएशन प्लांट से राहत की उम्मीद
राज्य सरकार अब प्याज के भंडारण को लेकर गंभीर होती नजर आ रही है। महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) प्याज के लिए गामा रेडिएशन प्लांट (Radiation Plant) स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है। प्याज एक जल्दी खराब होने वाली फसल है, लेकिन रेडिएशन तकनीक से इसकी शेल्फ लाइफ को बढ़ाया जा सकता है। इससे किसान प्याज को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाएंगे और बाजार में सही समय पर ऊंचे दाम मिलने पर उसे बेच सकेंगे।
यह योजना महाराष्ट्र के प्रमुख प्याज उत्पादक जिलों – नाशिक, पुणे (Pune), अहमदनगर और सोलापुर में लागू की जा रही है। दिसंबर 2023 में प्याज निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद किसानों में भारी नाराजगी देखी गई थी, जो हाल ही में लोकसभा चुनाव में भी स्पष्ट झलकी। निर्यात पर रोक से देश के भीतर प्याज की आपूर्ति बढ़ गई और कीमतों में तेज गिरावट आ गई।