पुलिस FIR दर्ज नहीं कर रही? जानिए आपके पास क्या हैं कानूनी अधिकार, कहां कर सकते हैं शिकायत

अगर किसी वारदात के बाद पुलिस आपकी FIR दर्ज करने से इनकार कर रही है तो घबराइए मत! भारत का कानून आपको पूरा हक देता है कि आप पुलिस, मजिस्ट्रेट या हाईकोर्ट तक जाएं। जानिए वह कानूनी रास्ता जिससे आप पुलिस को मजबूर कर सकते हैं FIR दर्ज करने के लिए—वो भी पूरी मजबूती से।

By GyanOK

अगर आपके साथ कोई अपराध हुआ है और आप थाने में जाकर इसकी पुलिस FIR दर्ज कराना चाहते हैं, लेकिन पुलिस आपकी शिकायत सुनने के बजाय मना कर देती है—तो घबराइए नहीं। भारतीय कानून में ऐसे हालात के लिए आपको पूरी कानूनी सुरक्षा और विकल्प दिए गए हैं। पुलिस का काम सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखना ही नहीं, बल्कि पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज करना भी है, और अगर वो ऐसा नहीं करती तो आपके पास कई वैकल्पिक रास्ते हैं।

पुलिस FIR दर्ज नहीं कर रही? जानिए आपके पास क्या हैं कानूनी अधिकार, कहां कर सकते हैं शिकायत

FIR क्या है और यह क्यों जरूरी है?

FIR यानी फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें किसी अपराध की सबसे पहली सूचना पुलिस को दी जाती है। यह किसी भी जांच या कानूनी कार्रवाई की शुरुआत का आधार होता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 154 के तहत, पुलिस पर यह कानूनी बाध्यता होती है कि वह संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की जानकारी मिलते ही FIR दर्ज करे।

पुलिस FIR दर्ज करने से करे इनकार तो क्या करें?

1. सीनियर अधिकारियों से करें शिकायत

अगर थाना प्रभारी FIR दर्ज करने से इनकार करता है तो आप जिला पुलिस अधीक्षक (SP), डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) या इंस्पेक्टर जनरल (IG) को लिखित में शिकायत भेज सकते हैं। अगर शिकायत सही पाई जाती है तो न सिर्फ आपकी FIR दर्ज होगी, बल्कि संबंधित अधिकारी पर विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है।

2. मजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं

यदि उच्च अधिकारी भी आपकी बात नहीं सुनते हैं तो आप CRPC की धारा 156(3) के तहत नजदीकी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) के पास प्राइवेट कंप्लेंट दर्ज करवा सकते हैं। मजिस्ट्रेट चाहे तो संबंधित पुलिस स्टेशन को FIR दर्ज करने का निर्देश दे सकता है।

3. हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल करें

अगर आपकी शिकायत और प्राइवेट कंप्लेंट के बावजूद भी कार्रवाई नहीं होती है तो आप भारतीय संविधान की धारा 226 के तहत संबंधित हाईकोर्ट में रिट याचिका (Writ Petition) दायर कर सकते हैं। कोर्ट उचित पाए जाने पर पुलिस को तुरंत FIR दर्ज करने का आदेश दे सकता है।

FIR दर्ज न करने पर क्या है सज़ा?

पुलिस अगर जानबूझकर FIR दर्ज नहीं करती है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों में यह स्पष्ट किया गया है कि FIR दर्ज न करना ड्यूटी में लापरवाही मानी जाएगी, और संबंधित अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

क्या FIR सिर्फ थाने में ही कर सकते हैं?

नहीं, अब आप FIR ऑनलाइन भी दर्ज करा सकते हैं। अधिकांश राज्यों की पुलिस वेबसाइट्स पर ई-एफआईआर सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा, मोबाइल ऐप्स और पुलिस हेल्पलाइन नंबरों के ज़रिए भी प्राथमिक शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं।

हर नागरिक का अधिकार है कि वह अपराध होने पर पुलिस से सहायता प्राप्त करे। अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है, तो आप चुप न बैठें। कानून आपके साथ है और आप न्याय के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर अदालत तक जा सकते हैं। अपने अधिकारों को जानिए और उनका इस्तेमाल कीजिए।

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