दुनिया में सबसे कम बच्चे कहां पैदा होते हैं? चौंकाने वाला नाम सामने आया!

मकाऊ में जन्म दर 0.68 बच्चे प्रति महिला, जो वैश्विक स्तर पर सबसे कम है। क्या आप जानते हैं इसके पीछे कौन से कारण हैं? पढ़िए पूरी कहानी और जानिए कैसे ये जन्म दर विश्व की जनसंख्या पर बड़ा असर डाल रही है!

By GyanOK

दुनिया में सबसे कम बच्चे पैदा होने वाले देशों की बात करें तो मकाऊ (Macau) इस सूची में सबसे नीचे है, जहां प्रति महिला औसतन केवल 0.68 बच्चे पैदा होते हैं। यह आंकड़ा 2024 का है और इसे विश्व बैंक समेत कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा पुष्टि मिली है। मकाऊ, जो चीन का एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है, यहां की जनसंख्या करीब 6.8 लाख है और यह क्षेत्र अपनी समृद्ध कैसीनो और पर्यटन उद्योग के लिए जाना जाता है। मकाऊ में जन्म दर में इतनी कमी के पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारण हैं, जिनका गहरा प्रभाव वहां के परिवार नियोजन और जनसंख्या संरचना पर पड़ा है।

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मकाऊ में सामाजिक-आर्थिक कारण

मकाऊ की खासियत यह है कि यहां महिलाएं शिक्षा में काफी आगे हैं और वे अपने करियर को प्राथमिकता देती हैं। इस वजह से बच्चे पैदा करने की संख्या में कमी आई है। इसके अलावा मकाऊ की जीवनशैली और वहां की उच्च जीवनयापन लागत ने भी परिवारों को छोटे आकार का रखने के लिए प्रेरित किया है। आवास की महंगाई और सीमित रहने की जगह भी बच्चे कम पैदा करने का एक बड़ा कारण बनी है। इन सब कारणों के चलते मकाऊ की जन्म दर विश्व के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।

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दक्षिण कोरिया की जन्म दर की स्थिति

दूसरी ओर, दक्षिण कोरिया भी जन्म दर के मामले में गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है। यहां 2024 में कुल प्रजनन दर 0.75 थी, जो पिछले साल 0.72 से थोड़ी बढ़ी है, लेकिन यह संख्या अभी भी बेहद कम है। दक्षिण कोरियाई सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं जैसे कि कार्य और जीवन के बीच संतुलन बनाना, बच्चों की देखभाल के लिए सुविधाएं प्रदान करना और आवासीय सहायता देना। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सामाजिक और सांस्कृतिक सोच में बदलाव के बिना जन्म दर में स्थायी सुधार संभव नहीं है।

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वैश्विक स्तर पर जन्म दर में गिरावट का संकेत

यह दोनों उदाहरण वैश्विक स्तर पर जन्म दर में गिरावट का संकेत हैं। कई विकसित और विकासशील देश आज इस स्थिति का सामना कर रहे हैं जहां आर्थिक प्रगति और सामाजिक बदलाव परिवारों को छोटे आकार के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए न केवल सरकारी नीतियों में सुधार की जरूरत है, बल्कि समाज की सोच में भी व्यापक बदलाव लाना होगा ताकि युवा परिवार अधिक बच्चों को जन्म देने के लिए प्रोत्साहित हों।

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