
देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), एक बार फिर अपने करोड़ों ग्राहकों को राहत देने के लिए आगे आया है। मई 2025 के लिए बैंक ने अपनी मौजूदा मार्जिनल कॉस्ट बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) और रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका सीधा फायदा उन ग्राहकों को मिलेगा जो SBI से होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन लेने की योजना बना रहे हैं या पहले से EMI चुका रहे हैं।
अप्रैल में ही घटाई गई थी ब्याज दरें, अब स्थिरता बनी हुई है
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2025 में अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) को 6.25% से घटाकर 6.00% कर दिया था। इसके बाद SBI ने भी अपनी बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी। लेकिन अब बैंक ने मई के लिए ब्याज दरों को यथावत बनाए रखा है, जिससे बाजार में ब्याज दरों को लेकर एक स्थिरता का संकेत मिलता है।
SBI की MCLR दरें मई 2025 के लिए यथावत
एसबीआई की MCLR रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है और ये इस प्रकार बनी हुई हैं:
- ओवरनाइट MCLR: 8.20%
- 1 महीने: 8.20%
- 3 महीने: 8.55%
- 6 महीने: 8.90%
- 1 साल: 9.00%
- 2 साल: 9.05%
- 3 साल: 9.10%
RLLR में कोई बदलाव नहीं, रेपो रेट और प्रीमियम मिलाकर तय होती है दर
रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) वह दर है जो सीधे RBI के रेपो रेट से जुड़ी होती है। SBI ने अपनी RLLR को 8.25% पर बरकरार रखा है, जिसमें 6.00% रेपो रेट और 2.25% क्रेडिट रिस्क प्रीमियम (CRP) शामिल है। यह दर हर ग्राहक के CIBIL स्कोर और जोखिम प्रोफाइल के अनुसार भिन्न हो सकती है।
MCLR क्या है और इसकी क्या भूमिका है?
मार्जिनल कॉस्ट बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुरू की गई प्रणाली है जिसके तहत बैंक अपनी लोन की ब्याज दरें निर्धारित करते हैं। यह प्रणाली बैंक की फंडिंग लागत, परिचालन खर्च और जोखिम प्रीमियम के आधार पर काम करती है। इससे पहले बैंक बेस रेट पद्धति का इस्तेमाल करते थे, जो उतनी पारदर्शी नहीं मानी जाती थी। MCLR से ग्राहकों को यह समझना आसान हो गया है कि लोन दर कैसे तय हो रही है।