
भारत में खेती करना सिर्फ पुराना तरीका नहीं है, बल्कि अब यह कमाई का अच्छा जरिया भी बन गया है। हमारे देश के आधे से ज्यादा लोग खेती करके ही अपना घर चलाते हैं। लेकिन अब लोग पुराने तरीके की खेती छोड़कर ऐसी फसलें उगा रहे हैं जो बाजार में बहुत महंगी बिकती हैं।
केसर ऐसी ही एक फसल है जिससे अच्छी कमाई होती है। इसकी कीमत तो 5 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है! अगर आप भी खेती में कुछ नया करना चाहते हैं और थोड़ी सी जगह में ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं, तो केसर की खेती आपके लिए एक शानदार मौका हो सकती है।
केसर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
केसर (Saffron) को मसालों का राजा कहा जाता है और यह सिर्फ अपनी खुशबू ही नहीं, बल्कि अपनी महंगी कीमत के लिए भी मशहूर है। इसकी खेती के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। तापमान 17 डिग्री सेल्सियस के आसपास होना चाहिए। भारत में पारंपरिक रूप से इसकी खेती जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में होती रही है, लेकिन अब उत्तराखंड, हरियाणा जैसे राज्यों में भी इसे आसानी से उगाया जा रहा है।
मिट्टी की बात करें तो दोमट मिट्टी-Loamy Soil सबसे उपयुक्त रहती है, जिसमें pH स्तर 6 से 8 के बीच हो। केसर को बीज से नहीं बल्कि Corms यानी बल्ब से उगाया जाता है। जुलाई से अगस्त का महीना इन बल्बों को रोपने के लिए सबसे उपयुक्त होता है। बल्बों को 10 सेमी गहराई में और 10-15 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए। ध्यान रखें कि पानी की मात्रा नियंत्रित हो, क्योंकि अधिक नमी से बल्ब सड़ सकते हैं।

केसर की देखभाल और फसल प्रबंधन
केसर की सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि उसे जरूरत के अनुसार ही पानी दिया जाए। ज्यादा सिंचाई से बल्ब खराब हो सकते हैं। अक्टूबर-नवंबर के महीने में इसमें फूल आना शुरू हो जाते हैं। एक फूल में तीन लाल रंग के Saffron Strands निकलते हैं, जिन्हें सुबह जल्दी तोड़कर सावधानी से निकाला जाता है। इन रेशों को छांव में सुखाया जाता है और बाद में एयरटाइट कंटेनर में सुरक्षित रखा जाता है जिससे उनकी गुणवत्ता बनी रहे।
खर्च और मुनाफा: जानिए आर्थिक गणित
एक एकड़ में केसर की खेती शुरू करने के लिए शुरुआती लागत लगभग ₹50,000 से ₹1,00,000 तक आ सकती है। इसमें बल्ब की खरीद, ज़मीन की तैयारी, सिंचाई और रख-रखाव शामिल है। अगर आप वैज्ञानिक तरीके से इसकी खेती करते हैं, तो एक एकड़ ज़मीन से लगभग 1 से 1.5 किलोग्राम केसर प्राप्त किया जा सकता है। चूंकि बाज़ार में इसकी कीमत ₹5 लाख प्रति किलो तक होती है, ऐसे में एक एकड़ से 5 से 7 लाख रुपए तक की आमदनी संभव है।