
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने BSF से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर सवाल उठाए है. उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार BSF को एक युद्धकारी बल के बजाय एक साधारण सिविल बल मानती है. साथ ही BSF कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाएगी. इसके अलावा उन्होंने एक और सवाल किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने 23 मई 2025 के फैसले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को ‘संगठित समूह ‘ए’ सेवा’ का दर्जा दिया है? अगर दर्जा दिया है तो उसे लागू करने के लिए सरकार ने क्या योजना बनाई है. इन सभी सवालों का जवाब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश
BSF और CAPF कर्मचारियों के पुरानी पेंशन योजना पर उठ रहे सवालों के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चले गया. इसके बाद हुड्डा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद ही देश के जवानों को पुरानी पेंशन से वंचित कर रही है. उनका आरोप है कि सरकार इस मामले को टाल रही है. इसके अलावा उनका कहना है कि सेवानिवृत्त होने वाले जवानों को पदोन्नति तो मिलती है, लेकिन उस पद का वित्तीय और पेंशन लाभ नहीं दिया जाता. उन्होंने इस भेदभाव और अन्याय पर सवाल उठाया है.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दी जानकारी
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने गृह मंत्रालय से सवाल पूछा कि क्या सिपाई और सब-इंस्पेक्टर को रिटायरमेंट पर बिना किसी वित्तीय लाभ के मानद पदोन्नति दी गई है, जबकि नक्सल और आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में काम करने वाले ऊपरी रैंक के अधिकारियों को यह सम्मान नहीं दिया जाता है. इस भेदभाव का क्या कारण है.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने यह फैसला सिपाही से सब-इंस्पेक्टर तक के कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए लिया है. हालांकि सरकार ने इस फैसले की जांच करने के लिए ए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिस पर अभी सुनवाई चल रही है.