
सोशल मीडिया पर अफवाह फैल रही है कि 2 अगस्त 2025 को सूर्य ग्रहण के कारण पूरी दुनिया में 6 मिनट के लिए अंधेरा हो जायेगा, इस खबर से लोग काफी डर गए है. कई लोग अपने स्वास्थ्य, परिवार और आध्यात्मिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चिंता में है. वैदिक ज्योतिष और प्राचीन हिंदू पंचांग के मुताबिक, यह खबर पूरी तरह से गलत है. 2 अगस्त को सूर्य ग्रहण नहीं है, इसलिए डरे नहीं और ऐसी अफवाह पर ध्यान न दें.
सूर्य ग्रहण कब होता है ?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब होता है जब कुछ खास ग्रहों की स्थिति बनती है. ग्रहण का मतलब है ‘पकड़ना’ या ‘बाधा डालना’. कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के समय छाया ग्रह राहु (चंद्रमा का उत्तरी नोड) या केतु (चंद्रमा का दक्षिणी नोड) सूर्य को ‘निगल’ लेते हैं, जिससे उसकी किरणें कम हो जाती है और हमें ग्रहण दिखाई देता है.
सूर्य ग्रहण होने के लिए तीन शर्तें
- सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होने चाहिए.
- राहु या केतु भी सूर्य और चंद्रमा के साथ कुछ डिग्री के अंदर में होने चाहिए.
- ये खगोलीय घटना उस स्थान से दिखाई देनी चाहिए जहाँ इसका निरीक्षण किया जा रहा है.
प्रकृति और वैदिक विज्ञान के नियम के अनुसार, राहु या केतु की उपस्थिति के बिना, सूर्य और चंद्रमा के एक ही राशि में होने पर भी कोई ग्रहण नहीं हो सकता है.