दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी होने के साथ-साथ एक विशेष स्थिति में भी है. जबकि इसे राज्य का दर्जा मिला हुआ है, फिर भी इसके पास एक पूर्ण राज्य की तरह अपनी कोई अलग राजधानी नहीं है. यह स्थिति अक्सर लोगों के मन में उलझन पैदा करती है. तो क्यों दिल्ली के पास अपनी राजधानी नहीं है? चलिए, इस सवाल का जवाब समझते हैं।

दिल्ली का प्रशासनिक ढांचा
दिल्ली को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है. इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCT of Delhi) के रूप में जाना जाता है. दिल्ली, एक केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर कार्य करती है, लेकिन पुडुचेरी की तरह इसे अपनी विधानसभा और मुख्यमंत्री भी चुने जाते हैं. हालांकि, बाकी केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में, दिल्ली की स्थिति कुछ अलग है, क्योंकि अन्य प्रदेशों में प्रशासन केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक या उपराज्यपाल के माध्यम से चलता है.
यह भी देखें: दिल्ली से शिफ्ट होगी भारत की राजधानी? इन 2 शहरों का नाम है …
दिल्ली को राज्य का दर्जा क्यों नहीं मिलता?
- राष्ट्रीय राजधानी का महत्व: दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, जहां संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, सर्वोच्च न्यायालय और अन्य केंद्रीय सरकारी संस्थान स्थित हैं. यदि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाता, तो इसका मतलब यह होता कि दिल्ली की सरकार के पास पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर पूरा नियंत्रण होता. केंद्र सरकार के मुताबिक, इन शक्तियों का दिल्ली सरकार के पास होना राष्ट्रीय सुरक्षा और सुचारू प्रशासन के लिए खतरे की बात हो सकती है.
- केंद्र सरकार का नियंत्रण: दिल्ली के पास पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि जैसे अहम मामलों पर नियंत्रण नहीं है. ये सभी मामले केंद्र सरकार के नियंत्रण में आते हैं, और दिल्ली के उपराज्यपाल के माध्यम से इनका प्रशासन होता है. यही एक बड़ा कारण है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल पाता.
- सरकारी समन्वय: दिल्ली को एक ऐसी स्थिति में रखा गया है जहां इसे केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच समन्वय बनाए रखना होता है. यदि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया, तो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राजनीतिक विवाद हो सकता है, जिससे प्रशासनिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों में अवरोध आ सकता है.
- इतिहास: जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब दिल्ली को एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में रखा गया ताकि केंद्र सरकार का इस पर पूरा नियंत्रण रहे. दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या और महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे कुछ अधिकार दिए गए, लेकिन हमेशा से इसे पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया.
दिल्ली की राजधानी क्यों नहीं है?
यह सवाल अपने आप में दिलचस्प है। जैसे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है ,उत्तराखंड की देहरादून और भोपाल, मध्य प्रदेश की राजधानी वैसे ही दिल्ली की कोई अलग राजधानी नहीं है, क्योंकि दिल्ली खुद ही भारत की राजधानी है।
नई दिल्ली, जो दिल्ली का एक हिस्सा है, भारतीय प्रशासनिक और राजनीतिक केंद्र के रूप में काम करता है. यहां संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तर स्थित हैं. इसी वजह से दिल्ली को एक अलग राजधानी की आवश्यकता नहीं है.