हमारी भारतीय संस्कृति में शादी और रिश्ते हमेशा से ही खास रहे हैं. कुछ मुहावरे और कहावतें भी हमारे समाज का हिस्सा बन गई हैं, जिन्हें सुनते-सुनते हम खुद भी इन पर विश्वास करने लगते हैं. एक ऐसी ही कहावत है: “साली आधी घरवाली होती है।” ये सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इसका मतलब क्या है और ऐसा क्यों कहा जाता है?

साली को आधी घरवाली क्यों कहा जाता है?
इस मुहावरे के पीछे एक दिलचस्प तर्क छिपा हुआ है. दरअसल कहा जाता है कि साली को हम अपनी बीवी की तरह हंसी-मजाक कर सकते हैं. यानी, जैसे पति-पत्नी के बीच हंसी-मजाक और मजेदार बातें होती हैं, ठीक वैसे ही साली से भी वो सब किया जा सकता है. ये तर्क आमतौर पर हल्के-फुल्के अंदाज में दिया जाता है, और इसमें कोई बुरा इरादा नहीं होता.
क्या सिर्फ यही वजह है?
हालांकि इस तर्क के अलावा भी कुछ और वजहें हैं जो लोग इस कहावत के पीछे मानते हैं. कुछ लोग ये भी कहते हैं कि साली अपनी बहन के पति का ध्यान रखती है और परिवार में सामंजस्य बनाए रखने में मदद करती है. इसलिए उसे आधी घरवाली कहा जाता है.
लेकिन, हर किसी को ये मुहावरा पसंद नहीं आता
ये मुहावरा जहां कुछ लोगों को मज़ेदार और सामान्य लगता है, वहीं कुछ लोग इसे गलत मानते हैं. उनका कहना है कि साली को आधी घरवाली कहना, एक तरह से उनके सम्मान को कम करना और भोगविलास की इच्छा का प्रतीक है. ये सोच सशक्त और आदर्श समाज के खिलाफ मानी जाती है.
हिन्दू धर्म में साली का दर्जा
आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म के अनुसार, साली को छोटी बहन और देवर को छोटे भाई का दर्जा दिया जाता है. इसलिए परिवार के रिश्तों को सम्मान देने की दृष्टि से, इस मुहावरे को लेकर विवाद उठना समझ में आता है.
हर संस्कृति और समाज में कुछ कहावतें और मुहावरे होते हैं, जो समय के साथ जुड़ जाते हैं. “साली आधी घरवाली” का कहना भी ऐसे ही एक मुहावरे के रूप में है. हालांकि, ये महज एक हल्की-फुल्की बात होती है, फिर भी इसका मतलब और इस पर उठने वाले सवालों को समझना जरूरी है.