
भारत में चीन के एक आदेश से इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में हड़कंप मच गई है. इस आदेश से भारत पर $32 अरब (लगभग 2.75 लाख करोड़ रुपये) का स्मार्टफोन निर्यात लक्ष्य का खतरा मंडरा रहा है. इसमें इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA), जिसमें ऐपल, गूगल, मोटोरोला, फॉक्सकॉन, वीवो, ओप्पो, लावा, डिक्सन, फ्लेक्स और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी बड़ी कंपनियाँ शामिल हैं. इन सभी ने सरकार को चिट्ठी लिखकर जल्द से जल्द मदद मांगी है. जानिए क्या है यह पूरा मामला और क्यों इतनी चिंता बढ़ रही है.
ICEA का कहना
इस खबर के बाद ICEA ने कहा कि चीन बिना किसी लिखित जानकारी के सिर्फ मौखिक आदेशों से रोक लगा रहा है, खासकर मशीनों, खनिजों और कुशल कर्मचारियों पर. उम्मीद है कि इस साल स्मार्टफोन का निर्यात 24 अरब डॉलर और अगले साल 32 अरब डॉलर तक हो सकता है, लेकिन चीन की पाबंदियों के वजह इस लक्ष्य पर खतरा पड़ सकता है.
भारत बना ग्लोबल हब
भारत पिछले कुछ सालों से इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने का एक बड़ा ग्लोबल हब बन गया है, खासकर एप्लाई के लिए. पहले सभी आईफोन चीन में बनते थे, लेकिन 2020 से भारत की PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम शुरू हुई, जिसके बाद 20% आईफोन भारत में बनने लग गए. अब भारत देश अमेरिका को एप्पल के साथ -साथ गूगल और मोटोरोला फोन बेच रहा है. सैमसंग भी भारत में ही अपने स्मार्टफोन बनाता है.
भारत में स्मार्टफोन का उत्पादन बढ़ा
भारत 2020 से स्मार्टफोन उत्पादन के क्षेत्र में तरक्क़ी का रहा है. भारत ने 2025 में 64 अरब डॉलर के स्मार्टफोन बनाएं, जिनमे से 24.1 अरब डॉलर के स्मार्टफोन दूसरे देश में बेचें. स्मार्टफोन बनाने के मामले में भारत सबसे बड़ा निर्यात प्रोडक्ट बन गया है.
लेकिन चीन भारत की इस तरक्की को नहीं चाहता है. पिछले साल से चीन ने मशीनों के निर्यात पर रोक लगा दी है, जिसमें भारी मशीनें और सोलर उपकरण शामिल थे। अब यह रोक इलेक्ट्रॉनिक्स तक पहुँच गई है. इससे भारत में स्मार्टफोन बनाना महंगा हो रहा है, क्योंकि इन मशीनों को भारत में बनाना या जापान-कोरिया से खरीदना चीन के मुकाबले 3-4 गुना ज़्यादा महंगा पड़ता है.