
इस साल 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया है और इसका समापन अगले महीने 9 अगस्त, 2025 को होगा। सावन माह भगवान शिव को समर्पित किया जाने वाला महीना है, शिवपुराण के अनुसार इस महीने बेलपत्र और एकमात्र लोटा जल चढ़ाने से ही भगवन शिव खुश हो जाते हैं और उनकी पूजा अर्चना करने से भोलेबाबा की विशेष कृपा मिलती है। वहीं अध्यात्म की दृष्टि से भी इस माह कुछ नियम ऐसे हैं जिनका पालन करना आवश्यक होता है।
सावन मास में खाने की कुछ चीजें जैसे मास, मच्छी के अलावा दूध, दही के सेवन से भी परहेज करने के लिए कहा जाता है, लेकिन ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है? क्या आपने कभी सोचा है। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं सावन में दूध-दही न खाने की असली वजह और इसकी पूरी जानकारी।
क्या है वैज्ञानिक कारण
सावन में दूध-दही न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो सावन में बारिश अधिक होती है, जिससे वातावरण में नमी और ठंडक बढ़ जाती है, इस समय शरीर की पाचन शक्ति भी कमजोर होती है। ऐसे में दूध-दही जैसे भारी और ठंडे पदार्थ पचने में समय लगाते हैं और इनके सेवन से पेट संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
इसके अलावा सावन के समय में नमी अधिक होने के कारण फंगस और बैक्टीरिया पनपने के लिए तापमान अनुकूल होता है, जिससे डेयरी प्रोडक्ट्स में इन सूक्ष्मजीवों के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है और इससे फ़ूड पॉइजनिंग का और पेट समस्या बढ़ सकती है। वहीं सावन में दूध-दही के सेवन से सर्दी-जुखाम या वायरल इंफेकशन का ख़तरा भी अधिक रहता है।
आयुर्वेदिक कारण
आयरूवेद में सावन को वात और कफ दोष बढ़ने वाला समय माना जाता है, दूध-दही कफवर्धक होते हैं, इसलिए इनका सीमित सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसकव साथ ही सावन के महीने में इन चीजों का सेवन पाचनतंत्र पर भी बुरा असर डालता है, जिसके चलते इसके सेवन से बचाना जरुरी हो जाता है।
क्या है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं की माने तो सावन में दूध-दही और उससे बनने वाले चीजें नहीं खानी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सावन के महीने में भक्त शिवलिंग पर दूध और दही आदि अर्पण करते हैं और धार्मिक दृष्टि से इस पवित्र आहार को भगवान् को अर्पित करने के बाद खुद इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यह भक्त का अपने भगवान के प्रति त्याग और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।
यह भी देखें: कथावाचक बनने के लिए कहां से मिलती है डिग्री? कैसे करें कथावाचन का ऑनलाइन कोर्स, जानें अभी