
नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2024 के उस फैसले का विरोध किया, जिसमे पान-तांती जाति को अनुसूचित जाति (SC) से बाहर कर दिया गया था. अब सरकार ने इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल की है. सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बाद राज्य सरकार ने तांती जाति को पिछड़े वर्गों की सूची में फिर से शामिल कर दिया था. इसके बाद जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के 9 साल पुराने उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें तांती-तंतवा जाति को SC में शामिल किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी भी जाति को अनुसूचित जाति की लिस्ट में शामिल करने या उसे हटाने का अधिकार राज्य के पास नहीं हैं. यह काम सिर्फ संसद का होता है. साथ ही अगर SC सूचित में किसी और जाति को शामिल किया जाता है तो उससे SC जाति के अधिकारों में कमी आती है. कोर्ट ने साफ कहा कि संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत राज्यों को अनुसूचित जाति की सूची में बदलाव करने की अनुमति नहीं है.
पिछड़ा वर्ग में शामिल होगी तांती-तंतवा जाति
कोर्ट के आदेश के बाद तांती-तंतवा जाति को अति पिछड़ा वर्ग (EBC) में शामिल कर लिया गया है. कोर्ट ने राज्य सरकार के 1 जुलाई 2015 के आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा जिन तांती-तंतवा जाति के लोगों ने पिछले 9 सालों में अनुसूचित जाति का लाभ मिला है, उन्हे अब EBC कोटे में में शामिल किया जाएं.
SC जाति में जो सीट खाली होगी, उन पर अन्य लोगों को मौका दिया जाएगा. यह फैसला डॉ. भीमराव अंबेडकर विचार मंच और आशीष रजक की अर्जी पर जस्टिस विक्रम नाथ और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने सुनाया था.