
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बुधवार को आरोप लगाया कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट से गरीबों के नाम हटा रहा है. उनका कहना है कि सत्ताधारी दल चुप हैं. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि नाम हटाने के बाद गरीब लोगों को पेंशन और फ्री राशन का लाभ भी नहीं मिलेगा. आपको बता दें कि इस साल बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले है, विधानसभा चुनाव होने से पहले वोटर लिस्ट की जांच को लेकर काफी गरमागरम राजनीति चल रही है.
तेजस्वी यादव ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रही है. जो लोग हमेशा ‘एक देश-एक चुनाव’ की बात करते हैं, वही लोग बिहार में अपनी मनमर्जी चला रहे हैं.
बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि BJP बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है. बीजेपी पहले वोटर लिस्ट से गरीबों के नाम हटाएगी, फिर उनकी पेंशन और राशन भी बंद कर देगी. इसके अलावा तेजस्वी ने दावा किया है कि BJP डर से चुनाव आयोग को आगे करके पीछे से दूसरा खेल खेल रही है. उन्होंने चुनाव आयोग से मतदाता लिस्ट की जांच को लेकर सवाल किए थे, लेकिन उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.
वोटर की जांच का उद्देश्य
पिछले साल चुनाव आयोग ने बिहार में एक महीने तक मतदाताओं की जांच की. जिस दौरान घर -घर जाकर सभी वोटरों की जांच पड़ताल की गई. इसका उद्देश्य है कि फर्जी वोटरों की पहचान करके उनका नाम लिस्ट से हटाना और नए वोटरों का नाम जोड़ना है.
इंडिया गठबंधन के नेताओं ने जताई आपत्ति
विपक्षी दल के इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बुधवार को नई दिल्ली में चुनाव आयोग के ऑफिस में जाकर बिहार में वोटर लिस्ट की जांच पर आपत्ति जताई है. जिस दौरान आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले, सपा समेत 11 पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद थे. कांग्रेस ने कहा था कि साल 2003 में वोटर लिस्ट की ऐसी जांच हुई थी और उसके एक साल बाद 2004 में लोकसभा चुनाव हुए थे. लेकिन इस बार बिहार में चुनाव होने के कुछ महीने पहले यह जांच हो रही है, जो की गलत है.