
रेलवे मंत्रालय ने 2025 से वेटिंग टिकटों की संख्या 25% तक सीमित करने का फैसला लिया था. यानी की अब किसी भी ट्रेन में कुल सीटों के मुकाबले केवल 25% एक्सट्रा वेटिंग टिकट ही दिए जाएंगे. मंत्रालय ने कहा कि ये नियम यात्रियों को ज्यादा अच्छी सुविधा देगा और जिससे ट्रेन में भीड़ कम होगी, लेकिन कई लोगों को यह नियम पसंद नही आ रहा है. आरक्षण से जुड़े कर्मचारियों, बुकिंग क्लर्कों और रेलवे के पुराने अधिकारियों का मानना है कि यह नियम फायदेमंद नहीं होगा और इससे यात्रियों को परेशानी हो सकती है.
रेलवे ने क्यों किया यह फैसला ?
रेलवे बोर्ड के सूचना और प्रचार के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने बताया कि रेलवे ने यह फैसला बहुत सोच-समझकर लिया है. उन्होंने समझाया कि ज्यादातर 25 % वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों को ही कन्फर्म सीट मिल पाती है. यानी की ज्यादातर लोगों को सीट मिल ही नहीं पाती है जिस वजह से वह निराश हो जाते है. इसके अलावा उन्होंने कहा रेलवे का उद्देश्य टिकट कैंसिल होने से पैसे कमाना नहीं है, बल्कि यात्रियों को बेहतर सुविधा देना है.
भारतीय रेलवे ने यह नया नियम 16 जून 2025 से लागू किया है, जिसे रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (CRIS) ने तैयार किया है. इस नए बदलाव की जानकारी मंत्रालय ने 17 अप्रैल को ही सभी संबंधित अधिकारियों और वाणिज्यिक प्रबंधकों को एक परिपत्र (circular) के माध्यम से दे दी थी.
कई अधिकारी इस फैसले से खुश नहीं
रेलवे के कई रिटायर्ड सीनियर अधिकारी और आरक्षण सुपरवाइजर इस फैसले एस खुश नहीं है. उन्होंने कहा कि वेटिंग लिस्ट से ही उन्हें पता चलता है कि भविष्य में कितनी ट्रेनों या एक्स्ट्रा कोच की जरूरत होगी. अगर वेटिंग टिकटों की संख्या कम कर दी जाएगी, तो उन्हें सही डिमांड का अंदाजा नहीं लग पाएगा. एक सुपरवाइजर ने ये भी कहा कि कई बार टिकट कैंसिल होने से सीटें खाली रह जाती हैं, लेकिन वेटिंग लिस्ट कम होने के कारण ये सीटें भर नहीं पातीं. इससे रेलवे को नुकसान होता है और यात्रियों को टिकट नहीं मिल पाता.