पाकिस्तान डिपोर्ट की गई एक महिला रक्षांदा रशीद को वापस भारत लाने का आदेश जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने दिया है. दरअसल रक्षांदा को हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद देश छोड़ने को कहा गया था, लेकिन अब कोर्ट ने इस डिपोर्टेशन को गलत मानते हुए भारत सरकार से 10 दिन के भीतर उन्हें वापस लाने को कहा है.

कौन हैं रक्षांदा रशीद?
रक्षांदा रशीद पिछले 38 सालों से जम्मू में अपने पति शेख जहूर अहमद और दो बच्चों के साथ रह रही थीं. लेकिन अप्रैल में जब भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का फरमान सुनाया, तो उन्हें भी वापस पाकिस्तान भेज दिया गया. फिलहाल वह लाहौर के एक होटल में ठहरी हुई हैं.
उनके पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि रक्षांदा का पाकिस्तान में कोई नहीं है और वह कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही हैं. इस हालत में उन्हें अकेले छोड़ना अमानवीय होगा और उनकी जान को खतरा भी है.
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट के जस्टिस भारती ने 6 जून को आदेश जारी करते हुए कहा, “मानवाधिकार किसी भी इंसान के जीवन का सबसे अहम हिस्सा होता है. ऐसे में बिना उचित जांच और आदेश के किसी को देश से निकाल देना गलत है।”
कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि रक्षांदा भारत में लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) पर रह रही थीं और उन्हें जबरन डिपोर्ट किया गया यह प्रक्रिया सही नहीं थी.
पहलगाम हमला बना वजह
बता दें कि 27 अप्रैल को भारत सरकार ने आतंकी हमले के बाद देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने को कहा था. उसके बाद कई लोगों को डिपोर्ट किया गया, जिसमें रक्षांदा रशीद भी शामिल थीं. पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद सरकार ने सख्त कदम उठाए थे.
हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय को आदेश दिया है कि रक्षांदा को वापस भारत लाया जाए और उन्हें उनके पति से मिलने दिया जाए.