
मद्रास हाई कोर्ट में एक महिला ने याचिका दायर की. उस महिला ने अप्रैल में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसके पासपोर्ट की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया, क्योंकि पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि उस पर पति के हस्ताक्षर नहीं थे. जिसके बाद महिला ने मद्रास हाई कोर्ट का रास्ता अपनाया.
मद्रास हाई कोर्ट का फैसला
मद्रास हाई कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि पासपोर्ट बनवाने के लिए महिलाओं को अपने पति की सहमति की कोई ज़रूरत नहीं है. न ही पासपोर्ट पर पति के साइन होने जरूरी है. इसके अलावा कोर्ट का कहना है कि शादी के बाद भी महिला की अपनी पहचान नहीं जाती हैं और उन्हें अपने पति की अनुमति के बिना पासपोर्ट अप्लाई करने का पूरा अधिकार है.
क्या था पूरा मामला ?
रेवती नाम की एक महिला ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए लिखा कि उसने अप्रैल 2024 में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया. अधिकारियों का कहना था कि उनके आवेदन फॉर्म में पति के हस्ताक्षर नहीं है, इसलिए चेन्नई का क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (RPO) उस पर आगे काम नहीं करेगा. रेवती ने बताया कि उनकी शादी 2023 में हुई थी, लेकिन कुछ समय बाद पति और पत्नी में विवाद होने लगे. उनके पति ने तलाक के लिए स्थानीय अदालत में याचिका भी दायर की थी, जो अभी लंबित है.
पति के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं
जस्टिस एन. आनंद वेंकटेश ने रेवती की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला लिया कि किसी भी पत्नी को पासपोर्ट बनाने के लिए पति की इजाज़त लेने या उनके साइन कराने की कोई आवश्यकता नहीं है.