
आज के समय में हर कोई घर खरीदने के लिए होम लोन ले रहे है, लेकिन कई बार हम हर महीने EMI नही चुका पाते है. यदि आप लगातार तीन EMI नहीं चुका पाते हैं, तो बैंक आपके लोन अकाउंट को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति यानी NPA घोषित कर देता है और फिर आपको डिफॉल्टर मान लिया जाता है. हालांकि डिफॉल्टर घोषित होने का मतलब यह नहीं कि सब कुछ खत्म हो गया है. लोन डिफॉल्ट से जुड़े बैंक के अपने नियम होते हैं, जिनकी जानकारी हर किसी को होनी चाहिए.
लोन डिफॉल्टर होने के नियम
जब कोई व्यक्ति लोन डिफॉल्टर घोषित हो जाता है, तो वह सोचता है कि कहीं बैंक उसके घर को नीलाम न कर दे. क्योंकि लोन न देने पर बैंकों के पास नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का कानूनी अधिकार होता है. हालांकि SBI के अनुसार, डिफॉल्टर बनने के बाद भी लोन लेने वाले के पास अपनी गलती सुधारने का पूरा मौका होता है. अपनी गलती सुधारने के लिए व्यक्ति को 6-7 महीने का समय दिया जाता है.
मुश्किल समय में EMI चुकाने में राहत
अगर आपको EMI चुकाने में दिक्कत आ रही है तो बैंक आपको कुछ शर्तों के साथ 6 महीने तक की मोहलत दे सकता है. इसके अलावा आप अपने लोन को रीस्ट्रक्चर करने का ऑप्शन भी चुन सकते है. रीस्ट्रक्चरिंग के समय आप बैंक से अपनी वर्तमान ईएमआई कम करने का प्रस्ताव रख सकते हैं और बाद में जब आपकी स्थिति सही हो जायेगी तो आप किस्तों की राशि बढ़ाकर भुगतान कर सकते है.
निवेशों को बेचे
मुश्किल समय में आप अपने कुछ निवेशों को बेच सकते है या अपने PF बैलेंस को इस्तेमाल करके बकाया पैसा जमा कर सकते है. हालांकि ऐसा करने से आपकी वित्तीय योजनाओ पर असर पड़ेगा.
संपत्तियों के बदले लोन ले
होम लोन चुकाने के लिए आप अपनी संपत्ति जैसे -सोना, प्रॉपर्टी, बीमा पॉलिसी के बदले लोन ले सकते हैं. इन लोन पर लगने वाली ब्याज दरें काफी ज्यादा होती है. जैसे ही आपको स्थिति सामान्य हो जाएं तो आप इन लोन को आसानी से चुकाकर अपनी संपत्तियों को वापस ले सकते है.