इन शब्दों का नहीं होगा अब इस्तेमाल, लगा बैन देखें कौन से हैं ये शब्द

क्या आपने कभी एफआईआर पढ़ते वक्त अजीब-अजीब शब्दों से सिर पकड़ा है? अब नहीं करना पड़ेगा 'दफ़ा', 'हलफनामा' और 'तफ्तीश' जैसे शब्दों का मतलब गूगल! राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस और सरकारी दस्तावेज़ों की कठिन भाषा को आम लोगों की बोलचाल वाली हिंदी में बदलने का फैसला लिया है।

By GyanOK

क्या कभी आपको FIR या किसी पुलिस रिपोर्ट को समझने में मुश्किल हुई है? क्या “तफ्तीश”, “इस्तगासा”, “दफ़ा”, “हलफनामा” जैसे शब्दों का मतलब ढूंढ़ने के लिए आपको गूगल करना पड़ा है? तो अब राहत की खबर है। अब पुलिस की भाषा आम लोगों के लिए आसान और समझने लायक होने जा रही है।

इन शब्दों का नहीं होगा अब इस्तेमाल, लगा बैन देखें कौन से हैं ये शब्द

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सरकारों ने एक अहम फैसला लिया है अब पुलिस दस्तावेज़ों, रिपोर्टों और नोटिस बोर्डों में मुग़लकालीन उर्दू और फारसी के कठिन शब्दों की जगह सीधी-सपाट हिंदी या सरल अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जाएगा।

राजस्थान में पुलिस भाषा को लेकर सख्त निर्देश

राजस्थान के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेधम ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए हैं कि सरकारी कागजों में अब कठिन उर्दू-फारसी शब्द नहीं होंगे। मंत्री ने कहा, “आज की युवा पीढ़ी और आम जनता को इन पुराने शब्दों की जानकारी नहीं होती, जिससे दस्तावेजों की गलत व्याख्या हो जाती है और न्याय मिलने में देरी होती है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि सभी भाषाओं का सम्मान है, लेकिन प्रशासनिक कामकाज की भाषा सरल और जन-सुलभ होनी चाहिए, खासकर जब राज्य हिंदी भाषी हो।

छत्तीसगढ़ में 109 कठिन शब्दों की सूची तैयार

इधर छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इसी दिशा में कदम उठाया है। गृह मंत्री विजय शर्मा ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वह अपनी पुरानी डिक्शनरी को अपडेट करें और कठिन शब्दों की जगह आसान हिंदी का प्रयोग करें।

अब पुलिस “हलफनामा” की जगह “शपथ पत्र”, “दफ़ा” की जगह “धारा”, “फरियादी” की जगह “शिकायत्तकर्ता” और “चश्मदीद” की जगह “प्रत्यक्षदर्शी” शब्द का इस्तेमाल करेगी। पुलिस ने ऐसे 109 शब्दों की एक लिस्ट भी तैयार की है।

कुछ और उदाहरण:

  • “अदम तामील” → “सूचित न होना”
  • “ख़यानत” → “हड़पना”
  • “गोषवारा” → “नक्शा”

मध्य प्रदेश में पहले ही शुरू हो चुका है बदलाव

मध्य प्रदेश इस बदलाव की शुरुआत कर चुका है। मई 2024 में एडीजी स्तर से सभी पुलिस अधिकारियों को एक सूची भेजी गई थी जिसमें 69 कठिन शब्दों को चिन्हित कर उनके आसान विकल्प सुझाए गए थे।

असल में इस प्रक्रिया की नींव जनवरी 2022 में ही रखी गई थी, जब तत्कालीन गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस बदलाव का समर्थन किया था।

जनता से जुड़ाव बढ़ाने की कोशिश

इस पूरी पहल का मकसद सिर्फ भाषा को आसान बनाना नहीं है, बल्कि पुलिस और जनता के बीच की दूरी को भी कम करना है। जब FIR, नोटिस और अन्य सरकारी दस्तावेज आम भाषा में होंगे, तो लोगों को अपने अधिकार और प्रक्रियाएं बेहतर समझ आएंगी।

इससे न सिर्फ पुलिस की कार्यप्रणाली पारदर्शी बनेगी, बल्कि आम लोग भी अपनी शिकायतें और न्याय प्रक्रिया को लेकर अधिक जागरूक हो सकेंगे।

Author
GyanOK

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें