
राजधानी में मंगलवार को निजी स्कूल संचालकों, छात्रों और अभिभावकों ने राज्य शिक्षा केंद्र के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किया. उनका कहना है कि सरकार की ग़लत नीतियों के कारण प्रदेश के लगभग 8,000 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द होने वाली है. ऐसा करने से सिर्फ स्कूलों पर ही नहीं, बल्कि हजारों बच्चों की पढ़ाई पर असर हुआ. वहीं हजारों टीचर बेरोजगार हो सकते हैं. इस प्रदर्शन में Right to Education के तहत पढ़ने वाले छात्र और उनके अभिभावक भी शामिल हुए.
उनकी मांग है कि पोर्टल को दोबारा खोला जाएं ताकि स्कूल मान्यता के लिए आवेदन कर सकें. इसके अलावा स्कूल संचालक का कहना है कि ये केवल स्कूलों की मान्यता का सवाल नहीं हैं, बल्कि हज़ारों छात्रों के भविष्य और शिक्षकों की रोज़ी-रोटी का भी मुद्दा है. वे सरकार और शिक्षा विभाग से जल्द से जल्द इस मामले पर ध्यान देने और मान्यता बहाल करने के लिए सही कदम उठाने की उम्मीद कर रहे है.
बच्चे और माता-पिता की चिंता
सभी अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों की मान्यता रद्द होने से उनके भविष्य पर असर पड़ेगा. जो बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे है वहां की मान्यता रद्द होने से उन्हें सरकारी स्कूल में वापस जाना पड़ेगा, ऐसे करने से बच्चे सही से पढ़ नहीं पाएंगे. इसके अलावा बच्चों ने भी अपनी बात रखी कि “वे हमारा स्कूल बंद मत करो” स्कूल बंद होने से उनकी पढ़ाई बीच में रुक जायेगी और उन्हें आने वाले समय में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
स्कूल संचालकों की परेशानी
एक स्कूल संचालक ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि वह बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, लेकिन सरकार के नियमों की वजह से उन्हें मान्यता लेने में बहुत परेशानी हो रही है. इसके अलावा सबसे बड़ी दिक्कत तो ये है कि अब ऑनलाइन आवेदन करने के लिए सरकारी पोर्टल बंद हो गए है. जिससे वो आवेदन नहीं कर पा रहे है. उनकी शिकायत है कि सरकार के नियम सही नहीं है, उन्हें इसे आसान बनाना चाहिए ताकि छोटे स्कूलों को आसानी से मान्यता मिल सकें. वे सभी सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनकी बात सुनी जाएं और इस समस्या का कोई हल निकाला जाए.
स्कूल संचालकों की मुख्य मांगे
- पोर्टल को फिर से खोला जाएं.
- सभी निजी स्कूलों को समान अवसर और न्याय मिले.
- RTE की सीटें फिर से बहाल की जाएँ.
- रुका RTE भुगतान तुरंत हो.
- बिना बताएं स्कूल बंद करने की कार्रवाई रोकी जाए.