भारत सरकार ने एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की औपचारिक मंजूरी दे दी है. दूरसंचार विभाग (DoT) ने कंपनी को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस जारी किया है. इस फैसले के बाद अब Starlink भारत में OneWeb और Reliance Jio के बाद तीसरी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनी बन गई है. फिलहाल स्टारलिंक ने भारत में इंटरनेट सर्विस देना शुरू नहीं किया है लेकिन अब उम्मीद है जल्दी ही ये सर्विस शुरू हो जाएगी

सरकार के इस फैसले से उन ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में भी तेज इंटरनेट सेवा पहुंच सकेगी, जहां अब तक नेटवर्क की पहुंच नहीं हो पाई थी। दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि स्पेक्ट्रम आवंटन के बाद Starlink बड़े पैमाने पर अपनी सेवा शुरू कर सकेगी।
कितनी होगी स्पीड और क्या होगा खर्च?
न्यूज रिपोर्ट्स में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक भारत में कंपनी अनलिमिटेड डेटा प्लान के साथ शुरुआत करेगी. इसकी शुरुआती कीमत महज $10 यानी करीब ₹857 प्रति माह हो सकती है. इंटरनेट स्पीड की बात करें तो Starlink नेटवर्क पर उपभोक्ताओं को 25 Mbps से लेकर 220 Mbps तक की डाउनलोड स्पीड मिलेगी. लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये हैं की ये केवल लॉन्च ऑफर हो सकता है. चूंकि ये सर्विस होती ही महंगी है तो इसे सस्ते में उपलब्ध करवाने का उद्देश्य शुरुआत में ग्राहक जोड़ना हो सकता है.
भारत में पहले भी हो चुकी है कोशिश
Starlink 2021 में ही भारत में एंट्री की कोशिश कर चुकी थी, लेकिन कुछ नियमों और आवेदन प्रक्रिया बाधाओं के चलते कंपनी को प्री-ऑर्डर वापस लेने पड़े थे। अब सरकार से सभी आवश्यक अनुमतियां मिलने के बाद कंपनी अपनी सेवा दोबारा शुरू करने जा रही है. देखना होगा ग्राहकों तक मस्क का इंटरनेट कब तक पहुंचता है.
क्या है Starlink की खासियत?
Starlink कंपनी Low Earth Orbit (LEO) तकनीक पर काम करती है, जिसमें धरती की सतह से करीब 550 किलोमीटर ऊपर छोटे-छोटे उपग्रहों की श्रृंखला से इंटरनेट सिग्नल भेजे जाते हैं. यह तकनीक पारंपरिक जियो-स्टेशनरी सैटेलाइट से ज्यादा तेज और कम Latency वाली होती है. इसलिए रिमोट एरिया में भी बेहतर कनेक्टिविटी मिलती है. लेकिन ये सर्विस पारंपरिक टावर और केबल से पहुँचने वाले इंटरनेट से ज्यादा खर्चीली है.
तेजी से बढ़ेगा भारत का सैटेलाइट इंटरनेट मार्केट
सरकार के मुताबिक, GMPCS लाइसेंस मिलने से भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन सेक्टर को नई रफ्तार मिलेगी। इससे देशभर में डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार होगा और डिजिटल इंडिया अभियान को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। आने वाले समय में अमेजन का Project Kuiper भी इस दौड़ में शामिल हो सकता है।