पपीते को अखबार में लपेटकर ही क्यों बेचते हैं दुकानदार? इसके पीछे है यह खास वजह

पपीते को अखबार में लपेटना एक सामान्य मगर वैज्ञानिक तरीका है जो उसके पकने की प्रक्रिया को तेज करता है. यह Ethylene गैस के संग्रह और वायु विनिमय के जरिए फल को जल्दी और बेहतर ढंग से परिपक्व बनाता है. कागज प्लास्टिक से बेहतर है क्योंकि यह नमी को नियंत्रित करता है और फफूंदी से बचाता है. यह तरीका स्वाद, सुरक्षा और स्वास्थ्य तीनों दृष्टिकोण से सर्वोत्तम है.

By GyanOK

पपीते को अखबार में लपेटकर ही क्यों बेचते हैं दुकानदार? इसके पीछे है यह खास वजह
Interesting Fact About Papaya

बाजार या सब्ज़ी मंडी में आपने कई बार देखा होगा कि पपीते को बेचते समय उसे अखबार में लपेटकर रखा जाता है. कुछ लोगों को यह एक सामान्य या पारंपरिक आदत लग सकती है, लेकिन वास्तव में इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण होता है. यह केवल दिखावे या सफाई के लिए नहीं, बल्कि पपीते को प्राकृतिक रूप से पकाने का एक असरदार तरीका है. इस प्रक्रिया में न तो किसी रसायन की जरूरत होती है और न ही किसी महंगे उपकरण की.

Ethylene गैस: फल के पकने की प्राकृतिक शक्ति

पपीता उन गिने-चुने फलों में से है जो खुद ही Ethylene नामक गैस छोड़ता है. यह गैस एक प्राकृतिक हार्मोन के समान काम करती है जो फल को पकाने की प्रक्रिया को ट्रिगर करती है. जैसे ही यह गैस पपीते के अंदर सक्रिय होती है, यह स्टार्च को चीनी में बदलने वाले एंजाइम्स को जाग्रत कर देती है. परिणामस्वरूप, फल नरम हो जाता है, उसका रंग बदलने लगता है और स्वाद में मिठास आ जाती है.

Ethylene का यही प्रभाव केले, आम, कीवी और टमाटर जैसे अन्य फलों पर भी देखा गया है. लेकिन पपीते में यह प्रक्रिया अधिक तीव्र होती है, जिससे यह एक प्रमुख उदाहरण बन जाता है.

अखबार में लपेटने से कैसे होती है प्रक्रिया तेज़?

जब पपीते को अखबार में लपेट दिया जाता है, तो उससे निकलने वाली Ethylene गैस उसी सीमित स्थान में फंसी रहती है. इसका असर यह होता है कि गैस की सघनता (concentration) बढ़ जाती है, जो कि एंजाइम्स को और तेजी से सक्रिय करती है. इसके कारण पपीता न सिर्फ जल्दी पकता है, बल्कि पूरे फल में एकसमान रूप से मिठास और नरमाहट आती है.

यह प्रक्रिया खासकर उस स्थिति में बेहद उपयोगी है जब पपीता थोड़ा कच्चा हो और उसे घर पर ही पकाना हो. इसके लिए बस एक अखबार और एक सूखी, हल्की गर्म जगह की ज़रूरत होती है.

कागज या प्लास्टिक: कौन बेहतर है?

कई लोग पपीते को प्लास्टिक में लपेटने की गलती करते हैं. लेकिन प्लास्टिक के मुकाबले कागज, विशेषकर अखबार, कई तरह से बेहतर होता है:

  • वायुसंचार की अनुमति देता है – कागज हवा को अंदर-बाहर आने देता है, जिससे गैस और नमी संतुलित रहती है.
  • अतिरिक्त नमी को सोखता है – फल से निकलने वाली नमी अगर बंद रहती है, तो फल सड़ सकता है. कागज इस नमी को सोख लेता है.
  • फफूंदी से बचाता है – प्लास्टिक में नमी फंसी रहती है, जिससे फल पर फफूंद लग सकती है.

इसलिए, पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला अखबार एक सस्ता, आसान और सुरक्षित माध्यम है पपीते को पकाने के लिए.

पपीता पकाने की सही अवधि: कब तक रखें अखबार में?

पपीता शुरू में जितना कच्चा होता है, उतना ही समय लगता है उसे पकने में. यदि पपीता हल्का हरा है और उसमें कुछ पीले धब्बे आ चुके हैं, तो उसे अखबार में लपेटकर 2 से 3 दिनों में अच्छे से पकाया जा सकता है. ध्यान रहे कि इस दौरान उसे ऐसी जगह रखा जाए जो सूखी और सीधी धूप से दूर हो, लेकिन कमरे के तापमान में हल्की गर्म हो.

यह प्रक्रिया कृत्रिम रसायनों से बचने का एक बेहतरीन विकल्प है, खासकर तब जब आप घर पर ही फल पकाना चाहते हैं.

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