
भगवान शिव का महीना आज यानी की 11 जुलाई से शुरु हो गया है, यह महीना शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, ये वो महीना है, जो भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है, इस माह को शिवभक्त पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते है, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और दूध अभिषेक करते है।
इन सभी के साथ शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और शमी के पत्ते भी चढ़ाते है, लेकिन क्या आप जानते है, की बेल पत्र तोड़ने के भी नियम होते है, इन नियमों की अनदेखी करने से जीवन में गलत प्रभाव पड़ सकता है, चलिए जानते है, की सावन में बेल पत्र तोड़ने के क्या नियम है, और शिवलिंग पर बेल पत्र कैसे चढ़ाएं।
सावन बेल पत्र तोड़ने के नियम
ज्योतिष के मुताबिक, शास्त्रों में बेल पत्र तोड़ने के कुछ नियम बताए गए है, जब आप इन नियमों को ध्यान में रखकर पूजा करेंगे, तभी आपको लाभ मिलेगा, वहीं रही बात बेल पत्र तोड़ने की तो बता दें की सावन के अलावा चतुर्थी अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावसस्या तिथियों पर भी बेल पत्र नहीं तोडना चाहिए, यहीं नहीं अगर संभव हो तो बेल पत्र संक्राति और सोमवार के दिन भी न तोड़ें, इसीलिए इन तिथियों में बेल पत्र चढ़ाना है, तो एक दिन पहले तोड़कर रख लें।
शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने के नियम
भोलेनाथ को हमेशा उल्टा बेल पत्र अर्पित करना चाहिए, पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग को स्पर्श करे इस बात का ध्यान रखें, बेल पत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से ही चढ़ाएं ऐसे बेल पत्र को अर्पित करें जिसमें चक्र और वज्र न हो, बेल पत्र में जितने अधिक दल होंगे, उतना ही लाभदायक माना जाता है, बेल पत्र में 3 से 11 दाल पाए जाते है, इसके अलावा शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
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बेल पत्र का क्या है महत्व
शिव पुराण के अनुसार, सावन सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल की प्राप्ति होती है, शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पित करने से दरिद्रता दूर होती है, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, बेल पत्र से भगवान शिव ही नहीं, उनके अंशावतार बजरंगबली भी प्रसन्न होते है, शिवपुराण के अनुसार यदि घर में बेल वृक्ष लगा है, तो पूरा कुटुम्भ अनेक प्रकारों के पापों से मुक्त हो जाता है।