ऑपरेशन सिंदूर का इनाम! लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को मिला बड़ा प्रमोशन, सौंपी गई सेना की टॉप जिम्मेदारी

नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पर पलटवार करते हुए भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, तब हर किसी की निगाहें एक शख्स लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई पर टिकी थीं। अब इस ऑपरेशन के हीरो को सरकार ने बड़ी ज़िम्मेदारी सौंप दी है। उन्हें भारतीय सेना का ...

By GyanOK

नई दिल्ली: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पर पलटवार करते हुए भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, तब हर किसी की निगाहें एक शख्स लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई पर टिकी थीं। अब इस ऑपरेशन के हीरो को सरकार ने बड़ी ज़िम्मेदारी सौंप दी है। उन्हें भारतीय सेना का नया डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सुरक्षा) नियुक्त किया गया है।

ऑपरेशन सिंदूर का इनाम! लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को मिला बड़ा प्रमोशन, सौंपी गई सेना की टॉप जिम्मेदारी
ऑपरेशन सिंदूर का इनाम! लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को मिला बड़ा प्रमोशन, सौंपी गई सेना की टॉप जिम्मेदारी

क्यों खास है ये नियुक्ति?

डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का पद सेना में सेना प्रमुख के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। इस पद पर बैठा अधिकारी देश की सुरक्षा रणनीतियों, युद्ध नीतियों और उच्च स्तरीय सैन्य फैसलों का नेतृत्व करता है। यानी ये सिर्फ कुर्सी नहीं, सीधे युद्धक्षेत्र की कमान होती है। यहाँ आपको ये भी जानना जरूरी है की इस पद पर ये पहली नियुक्ति है.

पहलगाम से POK तक: कैसे बने ‘लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई’ भरोसे का नाम

2025 की शुरुआत में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था। लेकिन उससे भी ज्यादा असरदार था उसका जवाब ऑपरेशन सिंदूर। सेना की उस रणनीतिक प्रतिक्रिया की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई कर रहे थे। जब पाकिस्तान के DGMO ने कार्रवाई रोकने की ‘गुज़ारिश’ की, तो यही वो थे जिन्होंने बिना झुके, पूरे आत्मविश्वास से स्थिति को संभाला।

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कितना मिलेगा वेतन?

सेना के इस स्तर के अधिकारी को ₹2.25 लाख प्रति माह बेसिक सैलरी मिलती है। भत्तों के साथ ये सैलरी ₹3 लाख तक जा सकती है। लेकिन ये पद सिर्फ सैलरी से नहीं, ज़िम्मेदारी और सम्मान से तोला जाता है।

घई कौन हैं?

राजीव घई पहले चिनार कोर (15वीं कोर) के कमांडर रह चुके हैं, जहां उनके नेतृत्व में कई सफल सैन्य अभियान अंजाम दिए गए। वे अब भी DGMO (डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस) के तौर पर काम जारी रखेंगे, यानी नई जिम्मेदारी के साथ पुराना अनुभव भी बरकरार रहेगा।

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