
क्या आप जानते हो भारत में पेट्रोल और डीजल पर अलग -अलग तरह के टैक्स लगते हैं. ये टैक्स GST के दायरे में नहीं आते है. यानी की तेल पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार अलग -अलग टैक्स लगती है, जिस वजह से इनके दाम इतने ज्यादा है. केंद्र सरकार तेल पर एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) और राज्य सरकार वैट (VAT) लगती है. इन टैक्स के अलावा भी कच्चे तेल की कीमत और डीलर का कमीशन जैसे कई खर्चों के वजह पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ जाते है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि अगर तेल पर कोई टैक्स न लगे तो 1 लीटर पेट्रोल की कीमत कितनी होगी. तो चलिए जानते है.
तेल में कितने प्रकार के टैक्स लगते है ?
भारत में तेल की कीमतों में 4 तरह के टैक्स लगते है. सबसे पहले केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा एक्साइज ड्यूटी और वैट टैक्स लगाएं जाते है. इसके बाद पेट्रोल पंप डीलर का कमीशन और अन्य खर्च भी इसमें शामिल होते है. इन सभी को मिलाने के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमत निकलकर आती है. यहां पर दिल्ली में पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स और बाकी शुल्कों को देख सकते हैं:
पेट्रोल पर टैक्स और चार्जेस | टैक्स की रकम |
पेट्रोल डीलर प्राइस | 55.66 |
डीलर कमीशन | 3.77 |
एक्साइज ड्यूटी | 19.90 |
राज्य सरकार का VAT | 15.39 |
पेट्रोल की खुदरा कीमत | 94.72 |
राज्य सरकारों के वैट की दरें अलग -अलग होने के कारण सभी राज्यों में तेल की कीमतों में अंतर आ जाता है. जिस वजह से कुछ राज्यों में तेल की कीमत कम और कुछ राज्यों में ज्यादा होती है.
पेट्रोल की असली कीमत इतनी होती है
पेट्रोल की असली कीमत और ग्राहकों को मिलने वाली कीमत में बहुत अंतर होता है. मान लीजिए दिल्ली में डीलर को 1 लीटर पेट्रोल 55.66 रुपए में मिल रहा है, उसके बाद उस पर अलग -अलग तरह के टैक्स और दूसरे चार्ज लग जाते है, सबको मिलाने के बाद यह तेल ग्राहक 94.72 रुपए प्रति लीटर में मिलता है. यानी की सभी टैक्स हटाने के बाद पेट्रोल की कीमत 55.66 रुपये प्रति लीटर है.
हालांकि इस कीमत में कच्चे तेल की कीमत जोड़ी नहीं गई है. कच्चे तेल की कीमत लगभग 40 रुपये प्रति लीटर होती है. इस पर तेल मार्केटिंग कंपनियां 5.66 रुपये प्रति लीटर प्रोसेसिंग कॉस्ट लगाती हैं. इसके अलावा, बफर इन्फ्लेशन के 10 रुपये प्रति लीटर भी जोड़े जाते हैं. इन सभी को मिलाकर ही पेट्रोल डीलरों को 55.66 रुपये प्रति लीटर में मिलता है.